प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य ने कार्यक्रम के संबंध में मीडिया को दी जानकारी”
देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य प्रोफेसर सदानंद दामोदर ने कहा कि लोकमंथन के नाम से हैदराबाद के भाग्य नगर में आगामी 21 से 24 नवंबर तक एक विशाल पैमाने पर विचार मंथन राष्ट्र की संस्कृति को लेकर आयोजित किया जा रहा है, जो कि गहरी वैचारिक की वजह से हमारे राष्ट्र के उन्नयन में निश्चित रूप से सहायक साबित होगा I
आज यहां उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों को जानकारी देते हुए प्रोफेसर सदानंद दामोदर ने बताया कि प्रज्ञा प्रवाह एक अखिल भारतीय मंच है जो भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत की गहरी समझ और प्रशंसा को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। यह मंच भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं, जिसमें दर्शन, कला, साहित्य, अध्यात्म और सामाजिक विज्ञान शामिल हैं, से जुड़ा हुआ है I उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य विद्वानों, बुद्धिजीवियों और उत्साही लोगों के लिए इन विषयों का पता लगाने और चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करना है। इसकी स्थापना वर्ष 1987 की शुरुआत में हुई थी। प्रज्ञा प्रवाह विभिन्न राज्य स्तरीय संगठनों के माध्यम से काम करता है। जिसके प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम हैं। उत्तराखंड में यह “देवभूमि विचार मंच” के नाम से संगठित है। वैचारिक शास्त्रार्थ तथा सहमति असहमति की सर्वकालिक स्वीकार्यता तथा सह अस्तित्व पर विश्व की प्राचीनतम संस्कृति, प्राचीनतम सभ्यता, प्राचीनतम राष्ट्र और प्राचीनतम भाषा होना हमारे आत्म गौरव तथा आत्म स्वाभिमान का स्वाभाविक प्रस्थान बिंदु है। भारत की ज्ञान परंपरा विषय, अनुशासन, अध्ययन पद्धतियों आदि विभेदों को सर्वथा सम्मान प्रदान करते हुए मानव मात्र के कल्याण को ही परमधाम मानती है।
उन्होंने पत्रकारों को यह भी जानकारी दी कि लोक मंथन, प्रज्ञा प्रवाह द्वारा दो वर्ष में किया जाने वाला एक ऐसा ही अखिल भारतीय आयोजन है, जिसमे विश्व भर से आये बुद्धिजीवियों, चिन्तकों, मनीषियों, अध्येताओं द्वारा परस्पर विचार-विमर्श से भारत के साथ विश्व को भी नया दृष्टिकोण मिलेगा। समता, संवेदनात्मकता, प्रगति, सामाजिक न्याय, सौहार्द और सद्भाव की आकांक्षा राष्ट्रीयता के मूलमंत्र है। इसी भावना के साथ सामाजिक बदलाव और समाज का विकास इस राष्ट्रीय विमर्श का जो मूल उद्देश्य है, वह साकार रूप में आकर पूर्णतः सिद्ध होगा। प्रोफेसर दामोदर ने बताया कि वस्तुतः चेतना का विस्तार ही भारत का लक्ष्य है और इसके लिए भारत बार-बार विमर्श का आह्वाहन करता रहा है। इस बार यह विमर्श एक विशद् रूप में लोकमंथन के नाम से 21 से 24 नवंबर तक भाग्यनगर, हैदराबाद में आयोजित किया जा रहा है। यह तीन दिवसीय विमर्श गहरी वैचारिकता की वजह से हमारे राष्ट्र के उन्नयन में सहायक सिद्ध होगा। लोकमंथन 24 का आयोजन “लोक अवलोकन” थीम पर आधारित है जिसके अंतर्गत लोकविचार, लोक व्यवहार तथा लोक व्यवस्था से सम्बंधित विषयों पर चिंतन मंथन किया जायेगा। इसके अलावा सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण तथा नागरिक कर्तव्य आदि विषय लोकमंथन 24 के केंद्र में रहेंगे। भाग्यनगर में आयोजित किया जाने वाला लोकमंथन 2024 प्रज्ञा प्रवाह का चौथा संस्करण है, प्रथम संस्करण वर्ष 2016, भोपाल में दूसरा वर्ष 2018, रांची में 2022, गुवाहाटी, असम में आयोजित किया गया था। तथा तीसरा इस आयोजन में विचार मंथन के अलावा लोक परम्परा, कला, साहित्य, लोक संस्कृति, लोक नृत्य व स्थानीय लोक व्यंजन की भी प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। लोक मंथन 2024 का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी के करकमलों द्वारा किया जायेगा।
इन लोक मंथन में उत्तराखंड के उत्तराकाशी जिले के सिल्कीयारा सुरंग प्रकारण पर एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की जाएगी जहाँ जब विश्व की सारी तकनीक असफल हो गयी तब पारम्परिक पद्धति से रैट माइनर्स कहे जाने वाले लोक द्वारा उक्त ऑपरेशन को सफल बनाया गया और सुरंग में फसे मजदूर बाहर निकाले जा सके।
पत्रकार वार्ता में डा. अंजली वर्मा, प्रो. सदानंद दामोदर, पृथ्वीधर काला तथा कुलदीप राणा मौजूद रहे |
Recent Comments