Saturday, September 21, 2024
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पुलिस हिरासत में पिटाई के बाद मौत का मामला : दून में राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने किया प्रदर्शन

देहरादून, ऋषिकेश में पुलिस हिरासत में पिटाई के बाद जेल में मौत के मामले की जांच और परिजनों के मुआवजे की मांग को लेकर विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने देहरादून कलैक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर जिलाधिकारी से माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। इसमें पूरे प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने या फिर सीबीआई को मामला सौंपने की मांग की गई। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही मृतक के परिजनों को समुचित मुआवजा देने की मांग भी की गई |
ऋषिकेश के ढालवाला निवासी रणवीर सिंह रावत को 22 जून को सादे कपड़ों में घर पहुंची पुलिस उठा कर ले गई। रणवीर सिंह पर स्कूटी चोरी का आरोप लगा। पुलिस ने 23 तारीख को रणवीर सिंह को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। 25 जून को रणवीर सिंह की जेल में मौत हो गई। आरोप है कि रणवीर सिंह की बुरी तरह से पिटाई के चलते मौत हुई है। परिजन इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
जिलाधिकारी के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करने वालों में आरयूपी, सीपीएम, यूकेडी, सीआईटीयू, उत्तराखंड आन्दोलनकारी परिषद, एआईएलयू, एसएफआई, नेताजी संघर्ष समिति, भीम आर्मी, नवचेतना मंच आदि के प्रतिनिधियों के साथ ही मृतक रणबीर सिंह की पत्नी रीतादेवी भी शामिल हुईं।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि 22जून 2024 की सांय 5:30 कोतवाली ऋषिकेश देहरादून की पुलिस रणबीरसिंह के टिहरी जिले के अंतर्गत ढालवाला स्थित मकान पर गई और उन्हें घसीट कर साथ ले गई। अगले दिन 23 जून की दोपहर पति को तलाशते हुए पत्नी कोतवाली ऋषिकेश गई तो तब तक उसके पति की पुलिस अभिरक्षा में बुरी तरह पिटाई हो चुकी थी। आनन फानन में उन्हें ऋषिकेश कोर्ट में पेश कर जिला कारागार देहरादून भेज दिया गया। आरोप हैं कि 25 जून को जब रणबीर की पत्नी पति को मिलने जिला कारागार गई तो उसके पति हालात नाजुक थी। उसने अपनी पत्नी को कहा कि उसके जान खतरे में है। मुलाकात के बाद जब वह घर पहुंची तो जेल प्रशासन ने रणबीर सिंह की मृत्यु कि सूचना उन्हें दी। वक्ताओं ने कहा कि हकीकत यह है कि पुलिस एवं जिला प्रशासन के अमानवीय कृत्यों के परिणामस्वरूप रणबीरसिंह की मृत्यु जिला कारागार देहरादून में ही हो चुकी थी।
संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच के लिए रणबीर सिंह की पत्नी रीता देवी ने जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। इस बीच सामाजिक एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी से भेंटकर उन्हें यथास्थिति से अवगत कराया। इस प्रकरण में दो पुलिसकर्मियों निलंबित कर पुलिस ने अपने घृणित अपराध में पर्दा डालने की कोशिश की। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी की ओर से पहुंचे नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह को ज्ञापन सौंपा।

मांग के बिंदु :
-रणबीर सिंह की पुलिस अभिरक्षा में हुई संदिग्ध मृत्यु की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करवाई जाय।
-संभव हो सके तो इस संदिग्ध मृत्यु कि जांच सीबीआई से करवाई जाये।
-जांच के दायरे में कोतवाली ऋषिकेश पुलिस, पुलिस क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश, चिकित्साधिकारी ऋषिकेश हॉस्पिटल, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, जेल के स्टाफ, दून अस्पताल के चिकित्सक, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक तथा ऋषिकेश एजेएम कोर्ट की प्रक्रिया को शामिल किया जाये।
-मामले से जुड़े सभी के खिलाफ निलंबन तथा स्थानांतरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।
-मृतक के परिजनों की जानमाल की सुरक्षा की जाये।
-रणबीर सिंह कि विधवा तथा तीन बच्चों के भरण पोषण के लिए सरकार समुचित दे।

प्रदर्शनकारियों में राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी (आयूपी) के अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, सीपीआई (एम) के जिलासचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू के जिला महामंत्री लेखराज, यूकेडी की वरिष्ठ नेत्री प्रमिला रावत, एआईएलयू के प्रान्तीय महामंत्री शम्भू प्रसाद ममगाईं, बार कौंसिल से एडवोकेट रंजन सोलंकी, आन्दोलनकारी परिषद प्रवक्ता चिन्तन सकलानी, जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार, एसएफआई से नितिन मलेठा, नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, नव चेतना मंच की संयोजिक दीप्ति रावत, भीम आर्मी के अध्यक्ष आजम खान, तरूणा जगुड़ी, सुभागा फर्सवाण, तारा पाण्डेय, सुधा, शोभा, सरला, रामपाल, अमित सिंह, सुनीता विरमानी, सुरेन्द्र पंवार आदि प्रमुख थे।

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