Saturday, October 26, 2024
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पर्यावरण संरक्षण के लिये आपसी समन्वय के साथ सुझावों के माध्यम से करनी होगी मानवीय पहल : डॉ. धनंजय मोहन

“सयुंक्त नागरिक संगठन की पहल पर मंथन सभागार में हुआ पर्यावरण संरक्षण में जनसहयोग पर संवाद”

“पर्यावरण प्रेमियों ने सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाई पास रोड, चकराता रोड, सहारनपुर रोड, हरिद्वार रोड आदि को पुन: हराभरा करने पर दिया जोर”

“पर्यावरण प्रेमियों के साथ सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने रखे अपने सुझाव”

देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), सयुंक्त नागरिक संगठन की पहल पर वन महोत्सव के अन्तर्गत पर्यावरण संरक्षण में जनसहयोग विषय पर वन विभाग के मंथन सभागार में मुख्य वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन व अपर सचिव वन कहकशा नशीन, वन संरक्षक राजीव धीमान एवं डीएफओ नीरज शर्मा के साथ आयोजित संवाद में पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सुझाव रखे । पीसीसीएफ डा. धनंजय मोहन ने इस संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता की जबकि संचालन सयुंक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने किया।
इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमियों ने कहा उत्तराखंड में अतिक्रमित 11814 हेक्टेयर वन भूमि से अबतक 1380 हेक्टेयर भूमि ही मुक्त करायी जा सकी है।शेष दस हजार अतिक्रमण की चपेट में आयी वन भूमि के रहते उत्तराखंड को प्रतिपूरक वृक्षारोपण हेतु अन्य राज्यों मे भूमि तलाश करना गंभीर चिंता का विषय है। योगी के बुलडोजर को लेकर इस भूमि को पुलिस एसडीआरएफ के सहयोग से इसे खाली कराया जाना राज्य के हित में है। संवाद में यह भी सुझाव था की पहाड़ में सड़कों के चौड़ीकरण, चार धाम मोटर मार्ग, नए दून दिल्ली एक्सप्रेस वे में काटे गए लाखों पेड़ों के बदले इन सड़कों के किनारे छायादार फलदायी वृक्ष नहीं रोपित किये गये है। भूस्खलन, भू-धसाव को रोकने के लिए यह जरूरी है की जनसहयोग से यहां हरेला में व्यापक अभियान चलाया जाए।
दून वासियो की मांग थी कि दून में रिस्पना बिंदाल नदियों के किनारे रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना में विकसित 05 किलोमीटर भूमि पर वन-विभाग को हजारों पेड़ों का वृक्षारोपण कर अर्बन फॉरेस्ट विकसित किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा उत्तराखंड़ में विगत वर्षों में हुए वनाग्नि काण्ड में हजारों एकड़ वन क्षेत्र राख बन गया। पशु पक्षियों सहित जानमाल की बर्बादी हुई। इस विनाश को रोकने में जनसहयोग अनिवार्य बनाया जाए। पहाड़ों में जल संरक्षण हेतु बनाए जाने वाले चालखाल में जनसहयोग को जोड़ने का भी सुझाव भी संवाद कार्यक्रम में दिया गया। शहर में और शहर के बाहर सडकों के किनारे किनारे वृक्षारोपण और संरक्षण हेतु ट्री गार्ड उपलब्ध कराने की योजना बनाई जानी चाहिए। सबसे पहले शहर में पुराने पेड़ों के सफाये से शमशान बनी सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाई पास रोड, चकराता रोड, सहारनपुर रोड, रिस्पना से आगे हरिद्वार रोड, आदि को पहले की तरह हरा भरा करने की योजना में वन विभाग और सरकार को खुद पहल करनी चाहिए। इसमें आमजन तथा अन्य विभागों का भी सहयोग उपयुक्त रहेगा।
मंथन सभागार में दो घंटे चले इस संवाद बैठक में मुख्य वन संरक्षक डा. धनंजय मोहन ने सयुंक्त नागरिक संगठन की पहल का स्वागत करते हुये कहा कि हमें आपस में समन्वय के साथ सुझावों के माध्यम से और मानवीय पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि हमने बाहरी वनों से आच्छादित क्षेत्र में बेहतरीन बढ़ोतरी की हैं जबकि अर्बन क्षेत्र में आबादी के बढ़ते घनत्व के कारण काफी वनों को नुकसान हुआ हैं।
उन्होंने कहा कि सयुंक्त नागरिक संगठन के साथ विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा हमें बहुत अच्छे सुझाव जो आज मिले हैं, राज्य में वन लगाने से लेकर वन बचाने तक साथ ही वनाग्नि से वनों को बचाने के लिये संस्थाओं के साथ समन्वय बनाकर वन विभाग प्रगति की ओर बढ़ेगा।
इस मौके पर वन संरक्षक राजीव धीमान व जिला वन अधिकारी नीरज शर्मा के साथ ही अपर सचिव वन कहकशा नशीन ने भी अपने विचार प्रकट किये।
सोमवार को हुये इस संवाद कार्यक्रम में ब्रिगेडियर केजी बहल , सुशील त्यागी , डॉ. बृज मोहन शर्मा, नवीन कुमार , सडाना, प्रदीप कुकरेती , मनोज ध्यानी, कर्नल विक्रम सिंह थापा, देवेन्द्र पाल मोंटी , जगदीश बावला, जीसी भट्ट , पदम् सिंह थापा , चंदन सिंह नेगी , खुशवीर सिंह , प्रकाश नागिया, यशवीर आर्य, जीएस जस्सल, अवधेश शर्मा, प्रिंस कपूर, परमजीत सिंह कक्कड़ , पीसी नागिया , बिश्म्बर दत्त बजाज, अब्बास, कर्नल वीएस थापा, अखिलेश अन्थ्वाल, नीरज उनियाल, जस्मिन्दर कौर जस्सल, जीतमणि पैन्युली आदि मौजूद रहे |

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