देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), उत्तराखंड़ के पेंशनर्स संगठनों के प्रतिनिधियों ने रिटायरमेंट के समय निर्धारित कम्यूटेड पेंशन की अवधि को 15 की जगह 11 साल किये जाने की मांग पर सहमति जतायी और सामुहिक रूप से संघर्ष करने के लिए उत्तराखंड सचिवालय सेवा निवृत पैंशनर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष सुमन सिंह वाल्दिया के नेतृत्व में एक संयोजन समिति बनाई, जिसका इसका विस्तार अगली बैठक में किया जायेगा।बैठक में पैंशनर्स ने रोष व्यक्त करते हुए कहा सेवा निवृत्ति पर पेंशनरों को राज्य में जारी कम्यूटेड नीति से भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होने कहा कम्युटेड पेंशन योजना की शुरुआत के समय बैंक की ब्याज दर 12% थी और इसी दर पर आज तक ब्याज की राशि को शामिल कर किस्तो की कटौती की जा रही है जो सरासर अन्याय है। वकताओं ने कहा बैंको की ब्याज दरों में 2006 से लगातार गिरावट आई है जो घटकर लगभग 6 प्रतिशत रह गयी है।ब्याज दरों में लगातार गिरावट के आधार पर ही कम्युटेड पैंशन की कटौती किये जाने के पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को भी तर्कसंगत बताया गया, जिसमें कम्यूटेड पैंशन की अवधि को घटाकर 15 से 11 साल कर दिया गया है। बताया गया गुजरात सरकार ने भी कम्युटेड पैंशन की अवधि को 2022 में संशोधन करके 13 साल कर दिया है। उत्तर प्रदेश में भी संगठन के लोग इस बारे में अपनी आवाज बुलंद कर रहे है।वकताओं का सुझाव था कि सभी संगठन मिलकर या अलग-अलग भी इस सम्बन्ध में सरकार पर दबाव डाल सकते है। चाय पर चर्चा के माध्यम से पेंशनर समन्वय अभियान ग्रुप द्वारा आयोजित यह विचार विमर्श होटल द्रोण में सम्पन्न हुआ।
इसमें सेवानिवृत्त राजकीय पेंशनरस संगठन, गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर संगठन,राज्य कर्मचारी पैंशनरस परिषद,पेयजल पैंशनरस एशोसियेशन, वन विभाग सेवानिवृत अधिकारी कर्मचारी कल्याण समिति,उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समीति, सचिवालय सेवानिवृत पैशनरस संगठन के प्रतिनिधिगण शामिल हुए।
संयोजन समिति का हुआ गठन :
गोष्ठी में आम सहमति व्यक्त करते हुए कहा गया कि उत्तराखंड सरकार से कम्यूटेड पेंशन की अवधि 15 साल से 11 साल किए जाने की मांग की जायेगी। इसके लिए संयोजन समिति का भी गठन किया गया, जिसमें पंचम सिंह बिष्ट, गिरीश चंद्र भट्ट, ठाकुर शेर सिंह, महेन्द्र सिंह तोमर, नवीन नैथानी और सुशील त्यागी शामिल किये गये।
पैंशनर्स का यह भी सुझाव था कि पैंशनर्स व कार्मिक संगठन संयुक्त रूप से यदि संघर्ष करेंगे तो परिणाम जल्द सामने आ सकेंगे।
वक्ताओं में संयोजन समिति के सदस्यों के अलावा दिनेश भंडारी,चौधरी चंद्रपाल सिंह, इंसास लहक, रामेंद्र सिंह पुंडीर,महिधर सिंह तोमर आदि भी शामिल थे।
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