“हृदयस्पर्शी गीतों से प्रकृति माँ को दी श्रद्धांजलि, कटाई के लिए चिह्नित पेड़ों को बांधा रक्षासूत्र और रक्षा करने की खाई कसम”
देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), सौग बांध परियोजना में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण हेतु खलंगा वन क्षेत्र में साल प्रजाति के हजारों पेड़ों के प्रस्तावित विनाश पर पर्यावरण प्रेमियों ने आवाज बुलंद करते हुये रोष जताया | दून के पर्यावरण प्रेमी ऐतिहासिक खलंगा युद्ध स्मारक के आसपास के प्राचीन जंगल में 2000 से अधिक साल के पेड़ों की प्रस्तावित कटाई का विरोध कर रहे थे।
खलांगा स्मारक के पास रविवार की सुबह जुटे दूनवासियों ने कहा ट्रीटमेंट प्लांट हेतु साल प्रजाति के हजारों पेड़ों का कटान दून के पर्यावरण को गंभीर आघात पहुंचायेगा। इनका कहना था की पेयजल आपूर्ति हेतु प्रस्तावित बांध के हम विरोधी नहीं है। पर पेडों का विनाश बिल्कुल मंजूर नही है जबकी अन्य विकल्प मौजूद हैं। प्लांट को अन्यत्र भी बनाया जा सकता है।उनका कहना था देहरादून में पहले ही ग्रीन क्षेत्र घटकर केवल एक प्रतिशत रह गया है और जो बचा है उसको भी खत्म करके रेगिस्तान बनाया जा रहा है। इसे रोका जाना जरूरी है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर, तापमान में बढोतरी और पर्यावरण को पहुंचने वाले गंभीर खतरे को नजरअंदाज करके भावी पीढियों को मौत के मुंह में धकेला जाना असहनीय होगा। पर्यावरण प्रेमियों ने निश्चय किया कि इस संबंध में जल्द ही सार्थक सुझाव परियोजना अधिकारियों तक पहुंचाये जायेंगे, अन्यथा जनहित में विरोध दर्ज कराने के अन्य विकल्प भी मौजूद हैं।
क्या है मामला :
सरकार द्वारा इस क्षेत्र में एक जल उपचार संयंत्र स्थापित किया जाना है। शुरुआत में डब्ल्यूटीपी कुल्हान मानसिंह में बनना था लेकिन किसी अज्ञात कारण से साइट को बदलकर खलंगा कर दिया गया है। नागरिक उक्त हरे-भरे वन क्षेत्र के चयन पर सवाल उठा रहे हैं। “एक बंजर क्षेत्र का चयन क्यों नहीं किया गया, यह बार-बार पूछा गया? हम मेगा परियोजनाओं की योजना बनाने के बजाय मौजूदा प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण क्यों नहीं कर रहे हैं जो अंततः बड़े संकटों को जन्म देगा?” विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और सभी से व्यवहार्य समाधानों के बारे में सोचने का आग्रह किया।
हृदयस्पर्शी गीतों से प्रकृति माँ को दी श्रद्धांजलि :
‘मातृ दिवस’ का वास्तविक जश्न मनाते हुए सभी ने प्रकृति माँ को श्रद्धांजलि अर्पित की और कटाई के लिए चिह्नित पेड़ों को रक्षासूत्र बांधा और उनमें से प्रत्येक की रक्षा करने की कसम खाई। प्रेम पूर्ण नारों और मधुर हृदयस्पर्शी गीतों से प्रकृति माँ की जय जयकार की गई।
इस अवसर पर गोरखाली सुधार सभा, सिटिजन फॉर ग्रीन दून, क्षत्रीय चेतना मंच, खंलगा विकास समिति, रोड स्पिन वारियर्स, पहाडी पैडलरस, नेचरबड़ी, मैड, टाय फाउंडेशन, संयुक्त नागरिक संगठन, क्षत्रिय चेतना मंच, दून यूनिवर्सिटी के छात्र, पूर्व सैनिक संगठन आदि संस्थाओं के साथ पर्यावरणप्रेमी मौजूद थे। वक्ताओं में विक्रम सिंह थापा, शशिकांत, अनिल गुरुंग, कैप्टन गोपाल सिंह, शशिकांत शाही, मनोज ध्यानी, सुशील त्यागी, चौ.ओमवीर सिंह, हिमांशु अरोड़ा, जयासिंह, ईरा चौहान, प्रभा शाह, कर्नल कोठियाल आदि शामिल थे।
कांग्रेस ने बेशकीमती पेड़ों की बलि देने पर जताया पुरजोर विरोध
देहरादून, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव महर्षि ने खलंगा क्षेत्र के नौ हजार बेशकीमती साल के वृक्षों को काटने का तीव्र विरोध करते हुए प्रदेश की धामी सरकार को अब तक की सबसे बड़ी नासमझी और चूक करने वाली सरकार बताया है।
महर्षि ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं लेकिन देहरादून में जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है, उसकी रोकथाम यही जंगल कर रहे हैं और सरकार की नासमझी इसी से स्पष्ट हो जाती है कि वह इस जंगल को नेस्तनाबूत करने पर आमादा है।
महर्षि रविवार को खलंगा के लोगों द्वारा चलाए जा रहे विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि उनके आंदोलन में कांग्रेस पार्टी हरसंभव सहयोग देगी, क्योंकि यह सवाल देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।
महर्षि ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार बेशकीमती वृक्षों के बलिदान से पूर्व एक बार पुनर्विचार करने का कष्ट करे।
महर्षि के साथ राम सिंह थापा पूर्व अध्यक्ष बलभद्र थापा स्मारक समिति, प्रभा शाह महासचिव बलभद्र समिति, बीना गुरुग उपाध्यक्ष बलभद्र समिति, सचिन त्रिवेदी पूर्व उपाध्यक्ष डीएवी पीजी कॉलेज, परितोष सिंह उपाध्यक्ष देव पीजी कॉलेज, विकास नेगी सचिव, युवा कांग्रेस के सागर सेमवाल विधानसभा अध्यक्ष राजपुर यूथ कांग्रेस, पुलकित चौधरी, हरीश जोशी, अभिनय बिष्ट अखिल, शरद, आदर्श सचिन डोभाल अंकित सिसोदिया आदि शामिल थे।
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