देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से बौंगाण औनि बौंगाणी समूह की सहभागिता से बौगाणी भाषा पर केंद्रित गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस आयोजन में बौंगाण औनि बौंगाणी समूह ने अपने द्वारा किए गए कार्यों का साझा किया ।
कार्यक्रम संचालक सुरक्षा रावत ने बताया कि सबसे पहले बताया कि 26 फरवरी का बौंगाणी भाषा के लिए क्या महत्व है, 26 फरवरी सुरेंद्र सिंह रावत सुराह का जन्मदिन है । रावत पहले बौंगाणी लेखक हैं जिन्होंने बौंगाणी में लिखने की शुरुआत आज से 52 वर्ष पहले की थी । तब उन्होंने महासू देवता पर लिखी आरती प्रकाशित भी करवायी थी । यही कारण था कि बौंगाण औनि बौंगाणी समूह द्वारा प्रकाशित बौंगाण की पहली पत्रिका इज़ाज़ उन्हीं को समर्पित की गयी थी।
इस अवसर पर इज़ाज़ के संपादक आर पी विशाल ने कहा कि ऐसी भाषा में पत्रिका का सपना देखना जिसे अब बोला भी नहीं जाता और जो भाषा दुनिया की विलुप्त होती भाषाओं की सूची में है आसान काम नहीं था लेकिन टीम और अन्य लोगों के सहयोग से पत्रिका प्रकाशन के बाद लोगों में अपनी भाषा के प्रति रुचि जगी है । समूह ने इज़ाज़ का नया अंक भी आज ही लोगों के लिए उपलब्ध कराया।
कार्यक्रम का सबसे मुख्य हिस्सा था बौगाणी भाषा में ऑनलाइन जन शब्दकोश का लोकार्पण । इस जन शब्दकोश की अवधारणा के जनक शुबा सुभाष रावत ने इस शब्दकोश के बनने की यात्रा साझा की ।
बौगाणी भाषा में इज़ाज़ पत्रिका के प्रकाशन और जन शब्दकोश की मात्रा में बहुत लोगों का सहयोग रहा है । समूह की सदस्य मंजु रावत राधा ने उन सबका धन्यवाद देते हुए कहा कि पत्रिका के लिए आर्थिक सहयोग करने वालों का योगदान भी बहुत बड़ा है।
प्रश्नोत्तर का संचालन मोहन चौहान और सुनीता मोहन ने किया । उपस्थित लोगों ने अपनी जिज्ञासाएं रखीं और बौंगाण औनि बौंगाण समूह के सदस्यो ने अपने अनुभव और विचार साझा किये। इस अवसर पर रंगकर्मी सुवर्ण रावत, बंगाणी भाषा विद डॉ. बलबीर सिंह रावत, आकाशवाणी के पूर्व प्रमुख विभूतिभूषण भट्ट, सुरेंद्र सजवाण, प्रेम पंचोली, तन्मय ममगाईं, चंद्रशेखर तिवारी, प्रवीन भट्ट, सुंदर बिष्ट, मदन डुकलान, विजय भट्ट सहित कई भाषविद,भाषा प्रेमी, लेखक,साहित्यकार ,युवा पाठक आदि उपस्थित रहे।
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