देहरादून, भाजपा महानगर के अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में विक्रम एसोसिएशन के सैकड़ों की संख्या में चालक एवं मालिकों ने आरटीओ से जीपीएस के संबंध में वार्ता हुई, जिसमें जीपीएस की अनिवार्यता को समाप्त करने हेतु महानगर अध्यक्ष ने कहा कि विक्रम एसोसिएशन देहरादून से संबंधित सभी चालकों को इसको लेकर काफी रोष व्याप्त है | इस संबंध में समाधान के लिए आपस में तालमेल बनाकर बीच का रास्ता निकालते हुए आरटीओ देहरादून ने 15 जुलाई महीने तक का समय प्रदान किया है । महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल ने कहा कि इस बीच जीपीएस संबन्धी सभी पहलुओं पर विचार किया जायेगा और उसके पश्चात आरटीओ से पुन: वार्ता कर समाधान निकाला जायेगा।
वार्ता में महानगर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेंद्र ढिल्लो महामंत्री सुरेंद्र राणा बिजेंद्र थपलियाल विनोद शर्मा देवेंद्र पाल मोंटी संदीप मुखर्जी विक्रम यूनियन के अध्यक्ष संजय अरोड़ा शैलेंद्र नेगी पावन कुमार अतुल अग्रवाल संजय धीमान हरि ओम चोधरी देवेंद्र रावत नदीम अली नवाब अली आदि विक्रम चालक उपस्थित रहे।
सऊदी अरब में फंसे के इंद्रमणी, भारत लाने की मुहिम, डॉ. प्रदीप भट्ट के पत्र पर सीएम धामी ने विदेश मंत्री को लिखा
उत्तरकाशी, जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रदीप भट्ट ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें उत्तरकाशी जिले के निवासी इंद्रमणी नौटियाल के सऊदी अरब में फंसे होने से संदर्भित एक पत्र प्रेषित किया और अनुरोध किया कि उसे सऊदी अरब से भारत लाया जाए। फलस्वरूप मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री भारत सरकार डॉ. एस.जयशंकर को पत्र लिखकर इस मामले में संबंधित को निर्देशित करने को कहा है ताकि इंद्रमणी स्वदेश लौट जाए।
दरअसल उत्ततकाशी जिले की तहसील डुंडा के गोरसाडा गांव का इंद्रमणी नौटियाल 2018 में रोजगार के लिये सऊदी अरब गया जहाँ रियाद सिटी में उसने FIDAK कंपनी में ट्रक ड्राइवर की नौकरी पकड़ ली। इस बीच उसके साथ एक हादसा हो गया। जिस ट्रक को वे चला रहे थे उसका एक्सीडेंट एक तेज रफ्तार से चल रही कार से हो गया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। फलस्वरूप ट्रक का बीमा न होने के एवज में उक्त को 10 माह की सजा हो गई। 10 माह की सजा काट रिहा होने के बाद फिडक कंपनी उसे भारत नहीं भेज रही है।
वहीं कंपनी ने इंद्रमणी का पासपोर्ट अपने पास बंधक कर रखा है। जिस कारण इंद्रमणी भारत नहीं लौट पा रहा है। उसके न लौटने से उसका परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है। पीड़ित परिवार अपने परिजन की वापसी के लिये शासन, प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं।
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