Saturday, November 23, 2024
HomeTrending Nowसिटीजन्स फार ग्रीन दून की पीड़ा : देहरादून मर रहा है, तापमान...

सिटीजन्स फार ग्रीन दून की पीड़ा : देहरादून मर रहा है, तापमान बढ़ रहा है, बारिश अप्रत्याशित है और सिकुड़ रहे जंगल और हरे-भरे स्थान

“शहर जो कभी अपनी स्वास्थ्यप्रद जलवायु और विलक्षण आकर्षण के लिए प्रसिद्ध था, अब एक बदबूदार, घुटन भरा, भड़कीला महानगर बन गया है”

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून, दून इन दिनों काफी गुलजार नजर आ रहा है। हाल ही में हुए एक बड़े आयोजन से पहले के कुछ दिनों की हड़बड़ाहट भरी तैयारियों ने अचानक हमारे प्यारे शहर को एक स्वप्नलोक में बदल दिया है। यह बात एक पत्रकार वार्ता में सिटीजन्स फार ग्रीन दून के पदाधिकारियों ने कही, स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होते हुये सिटीजन्स फार ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि चिकनी तारकोल वाली सड़कें, सड़कों और पेड़ों पर आकर्षक रोशनी, सभी डिवाइडरों पर खिली हरियाली और हर संभावित दीवारों पर कलाकृति का उभरना आश्चर्यजनक है।

उन्होंने कहा कि हालांकि हम इस अचानक परिवर्तन से आश्चर्यचकित हैं, लेकिन तथ्य यह है कि देहरादून मर रहा है। तापमान बढ़ रहा है, बारिश अप्रत्याशित है, जंगल और हरे-भरे स्थान सिकुड़ रहे हैं, थोड़ी सी बारिश के बाद भी बाढ़ और जलभराव आम बात है, भूजल स्तर गिरता जा रहा है, एक्यूआई का स्तर बिगड़ रहा है और श्वसन संबंधी बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं | दून की इसी समस्या को लेकर सिटीजन फार ग्रीन दून के पदाधिकारियों ने आज पत्रकारों के समक्ष अपनी पीड़ा रखी, इन सिटीजनों का कहना था कि ध्वनि और वायु प्रदूषण के साथ-साथ ट्रैफिक जाम भी आम बात बन रही है, कूड़ा निस्तारण का प्रबंधन निराशाजनक है, दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है और अपराध दर भी बढ़ रही है। संक्षेप में, वह शहर जो कभी अपनी स्वास्थ्यप्रद जलवायु और विलक्षण आकर्षण के लिए प्रसिद्ध था, अब एक बदबूदार, घुटन भरा, भड़कीला महानगर बन गया है। सिटीजन फार ग्रीन दून का आरोप था कि अनियोजित योजनाएँ आम नागरिकों पर थोप दी जाती हैं। सैकड़ों स्वस्थ पेड़ों को काट दिया जाता है और फिर सड़कों और पार्कों के किनारे सीमेंट की हिरण और बाघ की मूर्तियाँ स्थापित कर दी जाती हैं। ऐसा लगता है कि सौंदर्यीकरण का मतलब सिर्फ कंक्रीटीकरण है। वहीं इरा चौहान ने कहा कि समस्याओं से निपटने के लिए सरल और सीधे तरीकों को लागू करने के बजाय, असाधारण और महंगे समाधान तैयार और कार्यान्वित किए जाते हैं। शहर की आंतरिक समस्याओं को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया जाता है जबकि अनावश्यक योजनाएं पारित कर दी जाती हैं।
पत्रकार वार्ता में रीतू चटर्जी ने राजपुर रोड़ डायवर्सन से राजपुर तक बनाया जा रहा साइकिलिंग ट्रैक पर भी आपत्ति उठाई और कहा कि मुश्किल से एक किलोमीटर दूर तरला नांगल सिटी फॉरेस्ट में पहले से ही एक छोटा सा साइक्लिंग ट्रैक बनाया जा रहा है।फिर पेड़ों और हरियाली से भरे इस खूबसूरत इलाके को क्यों नष्ट किया जा रहा है ? यह सब को पता है कि देहरादून शहर की तुलना में राजपुर में अधिक वर्षा होती है और इस खंड पर टाइल लगाने और कंक्रीटीकरण से वर्षा जल के बहाव में वृद्धि होगी, जिससे शहर में बाढ़ और जल जमाव में वृद्धि होगी।
आपको बता दें कि दून शहर में तथाकथित ‘सौंदर्यीकरण और विकास’ कार्य किस संवेदनहीन तरीके से किया जा रहा है। इसको लेकर सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून ने आमजन में जागरूकता पैदा करने और इन मुद्दों से निपटने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। जिसके एक पक्ष के रुप में अपने प्रशासकों और योजनाकारों को प्रतीकात्मक रूप से ‘बुद्धि की टोपी’ वितरित करने की भी योजना बनाई हैं।

पत्रकार वार्ता में सिटीजन्स फार ग्रीन दून से हिमांशु अरोड़ा, इरा चौहान और जया सिंह, एसडीसी फाउंडेशन से अनूप नौटियाल और राजपुर समुदाय से रीतू चटर्जी और आशीष गर्ग मौजूद रहे ।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments