“निगम को हो रहा भारी नुकसान, प्रति वर्ष 25 करोड़ की कमाई के बाबत निगम को कंपनी केवल 3.25 करोड़ लीज रेंट के नाम पर देती है।”
हरिद्वार, देश में बीते सालों में रोपवे से जुड़े कई हादसे सामने आ चुके हैं, इसके बावजूद भी कई जगहों पर इसे लेकर लापरवाही की जा रही है. इनमें से ही एक रोपवे मनसा देवी का है. मनसा देवी रोपवे की लीज 40 साल की थी, जो 2021 में खत्म हो चुकी है. इसके बाद रोपवे का नया टेंडर निकलना चाहिए और इसे नए सिरे से तैयार भी करना चाहिए. लेकिन टेंडर अभी तक नहीं निकला है, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पुरानी कंपनी इसे चलाते आ रही है, प्रशासन अब नहीं चेता तो आने वाले दिनों में किसी अप्रिय घटना को रोका नहीं जा सकेगा |
मनसा देवी रोपवे से हर दिन हजारों लोग ट्रैवेल करते हैं, इसके रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है | जो वर्तमान में नहीं हो रहा है, ऊषा बेक्रो नाम की कंपनी इसे 40 साल से चलाती आ रही है, जिसकी लीज 2 साल पहले 20 मई 2021 को ही खत्म हो चुकी है | रोपवे के टेंडर के लिए हाईकोर्ट ने 6 माह पहले आदेश भी जारी किया था, लेकिन आदेश के 6 महीने बाद भी नगर निगम ने रोपवे के संचालन का टेंडर नहीं किया |
उषा बेक्रो कंपनी, रोपवे को ढाई साल से बिना टेंडर के चला रही है, प्रशासन की साठगांठ के बिना ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है, टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद यहां और भी कंपनियां इसके संचालन के लिए आगे आ सकती हैं | इसी वजह से स्थानीय प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी टेंडर प्रक्रिया को लटकाया हुआ है, रोपवे के जरिए हर साल लाखों श्रद्धालु मनसा देवी के दर्शन करते हैं |
31 दिसंबर को उषा बेक्रो कंपनी का अनुबंध रोपवे संचालन का समाप्त हो रहा है उसके पहले टेंडर प्रक्रिया हो जानी चाहिए थी | उषा बेकरो का मूल लीज 40 साल का था जो 20 मई 2021 को समाप्त हो चुका है, इसके बाद प्रशासन की अनुमित लेकर धीरे-धीरे अनुबंध बढ़ाया जा रहा है, जो कहीं ना कहीं कंपनी की मजबूत पकड़ का नतीजा है, ऐसे में ढाई साल बीत जाने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया शुरू नही की गई |
विगत 6 महीने में टेंडर प्रक्रिया चालू कराने को लेकर हाईकोर्ट में दो बार याचिका डाली जा चुकी है, लेकिन उसके बाद भी हाई कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना हो रही है. रोपवे के संचालन को लेकर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है | इसके संचालन पर साल में होने वाली करोड़ों की कमाई को लेकर स्थानीय प्रशासन से कभी पारदर्शिता नहीं रखी, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी टेंडर को लेकर स्थानीय प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया |
Recent Comments