Sunday, November 24, 2024
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सिलक्यारा टनल : 100 घंटों से ज्यादा समय से फंसे हुए हैं 40 मजदूर, अब बिगड़ने लगी तबीयत

उत्तरकाशी , जिले की सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे हुए सात राज्यों के 40 मजदूरों को 100 घंटे पूरे हो गए हैं। लेकिन अभी तक राज्य सरकार उनको सुरक्षित निकालने की कवायद में ही जुटी है, यह बहुत बड़ा प्रश्न सरकार के पाले में खड़ा है क्या इस आधुनिक तकनीकी के इस युग में यह कैसी विडम्बना है कि हम अभी तक सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर नहीं निकाल पाये, इधर एक के बाद नयी तकनीक की तैयारी की जा रही है सरकारी नुमाइंदे भी श्रमिकों के सकुशल होने की सूचना दे रहे हैं, भगवान करे कि फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हो, लेकिन सवाल उठना लाजिमी है कि क्यों हुयी यह घटना, कौन है इसका जिम्मेदार ? इस पर सरकार भी मौन है | वहीं घटना स्थल पर सेना, एसडीआरएफ और अन्य बचावकर्मियों की टीम बचाव अभियान में जुटी हुई है। अब तो टनल में फंसे मजदूरों की तबीयत बिगड़ना शुरू हो गई है। मजदूरों ने सिर दर्ज, पेट दर्ज और उल्टी जैसी बीमारियों की शिकायतें की हैं। हालांकि मजदूरों को स्वस्थ्य रहने के लिए पतली पाइप की मदद से सुरंग के अंदर जरूरी दवाइयां, ड्राइ फ्रूट्स, मल्टीविटामिन, जैसे सामान पहुंचाए जा रहे हैं।
वहीं प्रशासन टनल के बाहर एक 6 बेड वाला अस्थायी अस्पताल का भी सेटअप किया गया है और गंभीर मामलों को ऋषिकेश एम्स भेजने के भी इंतेजाम किए गए हैं। बता दें कि सुरंग के प्रदेश द्वार से लगभग 200 मीटर अंदर मजदूर फंसे हुए हैं और सुरंग द्वार पर 50 मीटर तक मलवा पड़ा हुआ है, जिसकी वजह से बचावकर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गेट से मलवे को हटाने के लिए दिल्ली से कई अत्याधुनिक मशीने मंगाई गई हैं।

 

सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन ने 21 मीटर तक की ड्रीलिंग, श्रमिकों के सुरंग से जल्द निकलने की उम्मीद बढ़ी

उत्तरकाशी, जनपद के सिलक्यारा सुरंग में नई और शक्तिशाली ऑगर मशीन ने शुक्रवार सुबह तक 21 मीटर मलबे को भेद दिया जिससे पिछले पांच दिनों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों के जल्द बाहर आने की उम्मीद बढ़ गयी है। सिलक्यारा में बने उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, सुरंग में जमा मलबे में सुबह छह बजे तक 21 मीटर की दूरी तक ‘ड्रिलिंग’ हो चुकी है । सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है। योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के कई बड़े पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक वैकल्पिक सुरंग बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं। इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था। बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गयी थी।
इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे बृहस्पतिवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी। अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।
इसके अलावा श्रमिकों को ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है। श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनकी तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके। हर मौसम के अनुकूल चारधाम सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

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