देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से संस्थान के सभागार में मणिशंकर अय्यर के साथ उनकी तीन भागों में प्रकाशित आत्मकथा के प्रथम खंड ‘मेमोयर्स आॅफ ए मेवरिक‘ पर एक महत्वपूर्ण चर्चा का आयोजन किया। मणिशंकर अय्यर के साथ लेखिका रंजना बनर्जीने बातचीत की। पुस्तक चर्चा का यह कार्यक्रम दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से पुस्तक लोकार्पण और संवाद श्रृंखला का एक हिस्सा है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सलाहकार प्रोफे. बी.के.जोशी ने मणिशंकर अय्यर और उपस्थित लोगों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुपरिचित अ्रंग्रेजी लेखिका नयन तारा सहगल ने की।
मेवरिक के संस्मरण एक असाधारण जीवन के पहले पचास वर्षों के बारे में एक ईमानदार लेखक की कहानी है। मणिशंकर अय्यर का बचपन देहरादून में, उनकी उत्साही विधवा मां के सानिध्य में बीता। एक युवा राजनयिक के रूप में उनका कार्य प्रधान मंत्री राजीव गांधी के साथ चार्तुय और बुद्धिमता से जुड़ा है। मणिशंकर अलयार का लेखन स्पष्टवादी और खुले विचारों वाला है। पाठक के पास उनके बचपन और कॉलेज के दिन, उनकी निजी पारिवारिक परिस्थितियां, कॉलेज विदेश सेवा अनुभव के कई अंतर्दृष्टिपूर्ण स्नैप शॉट है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ उनके वर्षों के काम के रेखाचित्र आंखें खोलने वाले और प्रभावित करने वाले हैं। आने वाले वर्षों का लेखा-जोखा उनकी अगली दो आत्मकथात्मक पुस्तकों का विषय रहेगा।
मणिशंकर अय्यर की शिक्षा दून स्कूल, सेंट स्टीफंस कॉलेज और कैम्ब्रिज, यूके में हुई। 2010 में कैम्ब्रिज कॉलेज ने उन्हें मानद फेलो के रूप में चुना। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में 26 वर्षों तक सेवा की, जिसमें प्रधान मंत्री राजीव गांधी के कार्यालय में प्रतिनियुक्ति भी शामिल थी। वह तमिलनाडु से संसद के निचले सदन के लिए तीन बार चुने गए और उच्च सदन में छह साल का कार्यकाल भी पूरा किया। 2006 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने 2004 से 2009 तक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया और कई अलग-अलग विभाग संभाले। इस प्रकार उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उनकी नवीनतम, मेमॉयर्स ऑफ ए मेवरिक भी शामिल है।
आज की इस बातचीत पर सभागार में उपस्थित लोगों ने इस विषय से जुड़े अनेक सवाल-जबाब भी किये। इस अवसर पर सभागार में अनेक लेखक, साहित्यकार, साहित्य प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी, पुस्तकालय के सदस्य तथा युवा पाठक उपस्थित रहे।
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