पिथौरागढ़, जम्मू कश्मीर में तैनात उत्तराखंड के जनपद पिथौरागढ़ निवासी भारतीय सेवा के जवान दीपक सिंह ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, दीपक की शहादत से उनके परिवार सहित समूचे उत्तराखंड में शोक की लहर है
आपको बता दें कि शहीद जवान दो सप्ताह पूर्व ही छुटियां पूरी कर अपनी ड्यूटी पर गए थे। वह 2 बार पैरा स्पेशल कमांडो ट्रेनिंग ले चुके थे। मिली जानकारी के मुताबिक मूल जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट तहसील के बेलपट्टी क्षेत्र के सुगड़ी गाँव निवासी दीपक सुगड़ा पुत्र मोहन सिंह भारतीय सेना में कार्यरत थे।
वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के किरू में थी, जहां गुरूवार को वे शहीद हो गए। हालांकि अभी तक उनकी शहादत के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाया है। शहीद जवान दीपक वर्ष 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।
शहीद दीपक अपने पीछे एक साल के मासूम बेटे सहित भरे पूरे परिवार को रोते बिलखते छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी हिमानी देवी का भी तीन माह पूर्व निधन हो चुका है।
गढ़वाल की प्राचीन प्रथा “हनुमान ध्वजा विस्थापना” से हुआ उत्तराखंड की सबसे भव्य रामलीला का समापन
देहरादून, श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून द्वारा गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी – पुरानी टिहरी की 1952 से होने वाली प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में 21 वर्षों बाद पुर्नजीवित करने का संकल्प लिया है और इस हेतु देहरादून के टिहरी-नगर में 11 दिन की ‘ भव्य रामलीला ‘ का आयोजन15 से 25 अक्टूबर 2023 तक सफल आयोजन हुआ । सकुशल समापन के उपरांत गढ़वाल की प्राचीन प्रथा के अनुरूप “हनुमान ध्वजा विस्थापित” कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम स्थल से सभी क्षेत्रवासियों ने मिलकर “हनुमान ध्वजा” को विस्थापित करने हेतु पूजा, अर्चना व हवन किया व तत्पश्चात विधि–विधान से “हनुमान–ध्वजा” को विस्थापित किया गया।
“श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून ” के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा की 1952 से टिहरी में हर वर्ष रामलीला के सफल आयोजन की कामना हेतु जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हनुमान ध्वजा का विधि विधान से स्थापना होती थी और रामलीला कार्य सकुशल संपन्न होने के बाद हवन–पूजन कर हनुमान ध्वजा की विस्थापन होती थी, अतः हमने भी वही प्राचीन परंपरा का पालन किया।
उल्लेखनीय है की सोशल मीडिया के विभिन्न Platform द्वारा यह रामलीला 10 लाख से अधिक लोगो तक पहुंचाया गया, जो उत्तराखंड में रामलीला आयोजन का अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उत्तराखंड में लेजर शो, Digital Screen, Live Telecast System, के साथ पहली बार “उड़ने वाले हनुमान” व ” नदी में केवट लीला” जैसे दृश्यों के साथ इतनी भव्य रामलीला का सफल आयोजन हुआ।
रामलीला के समापन दिवस में 1952 से आजतक के पुराने कलाकारों व उनके परिवार को सम्मानित किया गया, क्योंकि इस रामलीला को 1952 से सफल बनाने में हर एक व्यक्ति का योगदान रहा। कार्यक्रम में सभी पात्रों, समन्वय समिति, स्वयंसेवक समिति, गायक और संगीतकार को रामलीला समिति द्वारा सम्मानित किया गया। इस रामलीला में चौपाई, कथा, संवाद, मंचन आदि सब टिहरी की 1952 से चली आ रही प्रसिद्ध व प्राचीन रामलीला के जैसे हुआ। कार्यक्रम में अध्यक्ष अभिनव थापर, सचिव अमित पंत, गिरीश पांडेय, बचेंद्र कुमार पांडे, नरेश मुल्तानी, मनोज जोशी, गुड्डी थपलियाल, शशि पैन्यूली, किरण बहुगुणा, उर्मिला पंत, दुर्गा भट्ट, आदि ने भाग लिया।
सीमांत के ओबीसी समुदाय को ईडब्ल्यूएस दिए जाने का मामला शासन के पाले में, जिपंस मर्तोलिया के पत्र पर सीएम ने लिया संज्ञान
‘केंद्रीय आरक्षण मिलने तक मिले ईडब्ल्यूएस का लाभ’
पिथौरागढ़, चीन सीमा से लगे मुनस्यारी तथा धारचूला विकासखंड के पिछड़ी जाति में घोषित समुदाय के लोगों को ईडब्ल्यूएस का लाभ दिए जाने का मामला उत्तराखंड शासन स्तर पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद समाज कल्याण विभाग को मामला हस्तांतरित कर दिया गया है। शासन स्तर पर हुई हलचल के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इस समुदाय को इस बार न्याय मिलेगा। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने इस मामले को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन देकर उठाया था |
जिला पंचायत सदस्य मर्तोलिया का कहना है कि विकासखंड मुनस्यारी तथा धारचूला के पिछड़ी जाति में घोषित समुदाय को केंद्रीय पिछड़ी जाति का आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
केंद्रीय आरक्षण मिलने तक इस समुदाय के लोगों को ईडब्ल्यूएस का लाभ दिए जाने का मामला जोर पकड़ता जा रहा है।
इस संदर्भ में राज्य सरकार के साथ दर्जनों बार पत्राचार किया गया, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने बताया कि पिछड़ी जाति के आरक्षण का लाभ केवल राज्य सरकार की नौकरियों में ही मिल रहा है। केंद्र सरकार की नौकरियों में दोनों विकास खंडों के पिछड़ी जाति समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दोनों विकास खंडों की पिछड़ी जाति समुदाय को केंद्रीय पिछड़ी जाति का आरक्षण दिए जाने का मामला सरकारों के द्वारा ठंडा बस्ते में डाल दिया गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य में पिछड़ी जाति के रूप में घोषित दोनों विकास खंडों के उक्त समुदाय को ईडब्ल्यूएस का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ईडब्ल्यूएस का लाभ सामान्य जाति के लोगों को ही मिलेगा। केंद्रीय आरक्षण में मुनस्यारी तथा धारचूला विकासखंड की पिछड़ी जाति भी सामान्य समुदाय की तरह प्रतिभाग कर रही है। इसलिए केंद्र सरकार के सरकारी पदों की भर्ती में दोनों विकास खंडों के पिछड़ी जाति में घोषित समुदाय को ईडब्ल्यूएस का लाभ दिया जाना चाहिए।
इस संदर्भ में भेजे गए ज्ञापन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसूची जेपी बेरी ने सचिव समाज कल्याण विभाग उत्तराखंड शासन को यह प्रस्ताव भेजते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। वर्षों से चल रहे इस मामले में जिला पंचायत सदस्य मर्तोलिया के पत्र पर मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद इस मामले में कुछ सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि प्रधानमंत्री के विकासखंड धारचूला के दौरे के दौरान इस मुद्दे पर घोषणा की आशा की जा रही थी ,लेकिन इस समुदाय को इस दौरे से भी इस मामले में निराशा ही हुई है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस मामले में तत्काल फैसला नहीं लेती है, तो इस समुदाय को साथ में लेकर राज्य तथा केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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