देहरादून, पेशावर विद्रोह की 91वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने चन्द सिंह ‘गढवाली’ सहित इस ऐतिहासिक विद्रोह में शामिल सैनिकों को याद कर विद्रोह के महानायक वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। राज्य कार्यालय में आज शुक्रवार आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा है कि 23 अप्रैल 021 को पेशावर विद्रोह की वर्षगांठ का ऐतिहासिक दिन है,
जो देशभक्ति व साम्प्रदायिक एकता की ऐतिहासिक मिशाल है ! वक्ताओं ने कहा है कि इस दिन यानि 23 अप्रैल 1930 को गढवाली सैनिकों ने पेशावर के किस्सा खानी बाजार में बीर चन्द्र सिंह गढवाली के नेतृत्व में निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया था ।आगे चलकर इन सैनिकों को इस नाफरमानी की भारी कीमत चुकानी पडी़ ,किन्तु इन्होंने गढवाल का सर दुनिया के सामने ऊंचा कर दिया है ।
वक्ताओं ने कहा आज भी पेशावर विद्रोह के सैनिकों का नाम बडे़ ही आदर से लिया जाता है ।इतिहास में पेशावर विद्रोह महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है । इस घटना ने अंग्रेजी हुकूमत की चुले हिलाकर रख दी, लाख कौशिश करने के बाद भी वे साम्प्रदायिक आधार पर हिन्दू मुस्लिम को विभाजित करने में सफल नहीं हो पाये । वक्ताओं ने कहा कडी़ सजा पाने के बाद पेशावर विद्रोह के सैनिकों ने आजादी के बाद नये भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया ।फौज में रहते हुऐ ही चन्द्र सिंह गढवाली पहले से महात्मा गांधी व कम्युनिस्टों के सम्पर्क में थे जिसकी प्रणति पेशावर विद्रोह के रूप में परलक्षित हुई थी ।
वक्ताओं ने कहा आजादी के बाद उन्होंने अपना कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश के पहाड़ी जिलों को चुना ,जहां उन्होंने यहां की जनता के जनमुद्दों को लेकर अनेक आन्दोलन किये वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे तथा अक्टूबर 1979 में वे इस दुनिया को अलविदा कहा, इस अवसर पर राज्य सचिव राजेन्द्रसिंह नेगी , लेखराज , अनन्त आकाश आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।
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