Tuesday, November 26, 2024
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उत्तराखंड में कोरोना के 7 नए केस

देहरादून। उत्तराखंड में 24 घंटे के भीतर कोरोना के 7 नए मरीज मिले हैं। जबकि, 2 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे हैं। वहीं, एक्टिव केस की संख्या 40 रह गई है। पिछले 24 घंटे में एक भी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई है। प्रदेश में सैंपल पॉजिटिविटी रेट की बात करें तो 0.48% है.उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, एक जनवरी 2022 से लेकर अभीतक प्रदेश में 92,263 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से 88,734 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों का रिकवरी रेट 96.18% है। वहीं, इस साल अब तक 274 मरीजों की मौत हुई है।
जिलेवार आंकड़ों पर नजर डालें तो 24 घंटे में देहरादून में 3, हरिद्वार में 3 और अल्मोड़ा में 1 नया कोरोना मरीज मिले हैं। बाकी जिलों में कोई नया कोरोना संक्रमित नहीं मिला है।
वैक्सीनेशन: प्रदेश में बुधवार को 7,960 लोगों का कोविड वैक्सीनेशन हुआ है। अभी तक कुल 80,83,838 लोग फुल वैक्सीनेट हो चुके हैं। वहीं, 3 जनवरी से शुरू हुए 15 से 17 साल के बच्चों के टीकाकरण में अभी तक 3,30,970 बच्चों को फुल वैक्सीनेट किया गया है। जबकि 4,86,918 बच्चों को पहली डोज लग चुकी है। वहीं, 12 से 14 वर्ष तक के 1,72,297 बच्चों को पहली डोज लगी है।

 

कैलाश खेर परमार्थ निकेतन पहुंचे,एकेडमी फॉर लर्निग आर्ट खोलने की बात कहीKailash Kher reached Parmarth Niketan talked about opening the Academy for  Learning Art - कैलाश खेर परमार्थ निकेतन पहुंचे,एकेडमी फॉर लर्निग आर्ट खोलने  की बात कही

ऋषिकेश। विख्यात सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर बुधवार को परमार्थ निकेतन पहुंचे। उन्होंने परमार्थ निकेतन में कैलाश खेर एकेडमी फॉर लर्निग आर्ट खोलने की बात कही। इसमें संगीत और अध्यात्म का  प्रशिक्षण दिया जायेगा। बुधवार को विख्यात सूफी गायक पद्मश्री कैलाश खेर परमार्थ निकेतन पहुंचे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पावन कैलाश की धरती पर भगवान शिव विराजमान होते हैं। लेकिन आज शिव की धरती पर अपने कैलाश पधारे है। कैलाश खेर का स्वभाव, प्रभाव और प्रभुभाव अद्भुत है।   सूफी गायक कैलाश खेर ने कहा कि बच्चों के अन्दर जो कलायें हैं, उन्हें निखारने में मदद करें। न कि उन पर परीक्षा में 99 प्रतिशत लाने हेतु दबाव बनायें। माता-पिता अपने ख्वाब को अपने बच्चों पर न थोपें, बल्कि बच्चों को अपने वेग के साथ आगे बढ़ने दें।

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