Saturday, November 16, 2024
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केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा के दीक्षान्त समारोह में 69 अधिकारी हुये पासआउट

“उत्तराखण्ड़ की सुश्री विभू को मिला पीके सेन संरक्षण पुरस्कार”

देहरादून(एल मोहन लखेड़ा), केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून द्वारा आज 36वें (2022-24) राज्य वन सेवा प्रवेश पाठ्यक्रम पूर्ण करने वाले राज्य वन सेवा अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों का दीक्षान्त समारोह वन अनुसंधान संस्थान के दीक्षान्त सभागार में आयोजित किया गया है। इस बैच में विभिन्न राज्यों द्वारा प्रायोजित 69 अधिकारी प्रशिक्षणार्थी थे, जिनमें महाराष्ट्र-24, उड़ीसा- 23, बिहार-7, त्रिपुरा-6, हिमाचल प्रदेश-5, उत्तराखण्ड-3 और उत्तरप्रदेश-1 राज्य से हैं। इस बैच में कुल 18 महिला अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया ।
यह समारोह भा०व० से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) मुख्य अतिथि की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। डॉ० जगमोहन शर्मा, भा०व०से०, निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी, कंचन देवी, भा०व० से०, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE), देहरादून, डॉ रेनू सिंह, भा०व०से०, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, मीनाक्षी जोशी, भा०व०से०, कार्यवाहक निदेशक, वन शिक्षा निदेशालय, देहरादून एवं प्रधानाचार्या, केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून एवं सभी संकाय सदस्य, केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून एवं अन्य सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।
केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून की प्रधानाचार्या मीनाक्षी जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि 36वें राज्य वन सेवा के अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम 02 वर्षों के दौरान 20 महीने सैद्धांतिक और अन्य विशिष्टताओं का प्रशिक्षण तथा क्षेत्र अनुभव के लिए 4 महीने का सेवा प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
डॉ० जगमोहन शर्मा, भा०व०से०, निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने भी अपने विचार व्यक्त किये, उन्होनें वन विभाग में महिलाओं की बढती भागीदारी पर खुशी व्यक्त की, साथ ही उनकी कार्यकुशलता पर संतोष व्यक्त किया। आपने देश की वर्तमान राजनैतिक, भौगोलिक, आर्थिक, पर्यावरणीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए देश में अमृतकाल में लिये गये पर्यावरणीय फैसलो जैसेः- एक पेड़ माँ के नाम, ग्रीन क्रेडिट कार्ड प्रोग्राम आदि का जिक्र किया साथ ही बढती जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों के सत्त उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान में विश्व की सबसे बडी समस्यां है जलवायु परितर्वन व विश्व उष्णन। ऐसे में वन अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी बढ जाती है साथ ही उन्होनें एक अधिकारी के तौर पर EQ (भावनात्मक गुणक), IQ (बुद्धि गुणक), SQ (सामाजिक गुणक) AQ (प्रतिकूलता गुणक) और आध्यात्मिक चेतना की महत्वता को बताया और साहिर लुधयानवी के गीत-मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया से संदेश दिया की जीवन में असफलताओं का भी जश्न मनाना आना चाहिए क्योंकि वही सफलता की सीढी है।
दीक्षांत समारोह के दौरान भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष, केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अकादमी द्वारा प्रकाशित 4 पुस्तको जिसमें Safarnama, Darmiyaan,, Insecta एवं Learning from the Field का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर भा०व०से० (सेवानिवृत्त) सिद्धान्त दास, अध्यक्ष केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) के द्वारा सभी उत्तीर्ण वाले 69 अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को डिप्लोमा प्रमाण-पत्र तथा विशेष योग्यता प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणर्थियों को विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

इन्हें मिला पुरस्कार :
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का स्वर्ण पदक : डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय उत्कृष्ट ऑलराउंडर अधिकारी
प्रशिक्षणार्थी एवं अतिव्यावहारिक वन विद् रजत पदक : डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का वन प्रबन्धन एवं कार्य योजना में कार्यकुशलता के लिए रजत पदक : डॉ० सत्यजीत कर (उड़ीसा), पारिस्थितिकी में कार्यकुशलता के लिए रजत पदक : विवेक उद्धवराव शिंदे (महाराष्ट्र), मृदा संरक्षण एवं भू-प्रबन्धन में कार्यकुशलता के लिए आर.सी. कौशिक पुरस्कार : अर्पणा शिवरतन पाटिल(महाराष्ट्र), इंजीनियर एवं सर्वेक्षण में कार्य कुशलता के लिए केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा संगठन पुरस्कार : मयूर जयसिंह शेलके (महाराष्ट्र), वन सुरक्षा तथा जन जातिय कल्याण के लिए पी. श्रीनिवास पुरस्कार : ओंकार दास(उड़ीसा), पी. के. सेन संरक्षण पुरस्कार : सुश्री विभू (उत्तराखण्ड)

 

पर्यावरण की रखवाली, घर-घर की हरियाली नारे के साथ उत्तरांचल उत्थान परिषद ने रैली निकाल किया वृक्षारोपणMay be an image of 3 people and text

देहरादून, उत्तरांचल उत्थान परिषद ने “पर्यावरण की रखवाली, घर-घर की हरियाली, लाये समृद्धि और खुशहाली ” के उद्घोष के साथ नगर के विभिन्न भागों में प्रभात फेरी निकालते हुए हरेला 2024 का स्वागत किया। परिषद के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पर्यावरणविद् जगदीश बावला के नेतृत्व में गणता आश्वासन नियंत्रणालय रायपुर में संस्थान के सहयोग से व्यापक वृक्षारोपण कार्यक्रम इस अवसर पर सम्पन्न किया।
हरेला लोक पर्व सावन की संक्रान्ति के दिन पूरे उत्तराखण्ड में हर्ष और उल्लास के साथ मनायजाता है। यह मानव और प्रकृति को जोड़ने वाला सांस्कृतिक लोकपर्व है। सावन-संक्रान्ति से नौ दिन पूर्व घर के पूजा स्थल पर सात धान्यों को टोकरी में बोने की परम्परा है। खेत से मिट्टी ला कर और हरेला की उपज को देख कर आने वाली फसल का तथा मिट्टी की उर्वरकता का पूर्वानुमान लगाया जाता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगदीश बावला ने बताया कि बढ़ती वैश्विक उष्णता को देखते हुए हरेला धरती की सुरक्षा का प्राकृतिक आश्वासन है। प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड के जंगलों में लगने वाली आग से जैव विविधता नष्ट हो रही है। चीड़ के विस्तार को रोकना होगा, मिश्रित वनों को विकसित करना होगा। चीड़ की पत्तियां आग फैलाने का मुख्य कारक है। निजी भूमि से चीड़ के निस्तारण की अनुमति कास्तकार को मिलनी चाहिए।
हरेला हमें उद्यान से आत्म निर्भरता का भी संदेश देता है। हिमाचल जो हमारा पर्वतीय पडौसी राज्य है उससे हमें शिक्षा लेनी चाहिए। उत्तराखण्ड़ के उद्यान कास्तकारों को हिमाचल की निर्भरता से मुक्त करना होगा, राज्य में ही समय से बीज, दवा पौध एवं प्रशिक्षण मिले यह आवश्यक है। फलोद्यान का विकास उत्तराखण्ड के पलायन को रोकने में सक्षम है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष जयमल सिंह नेगी ने बताया कि वृक्षारोपण करने के साथ ही उसकी सुरक्षा की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। बढ़ते प्रदूषण को हम अधिकाधिक वृक्षारोपण कर रोक सकते हैं। हरेला कार्यक्रम के संयोजक यशोदानन्द कोठियाल ने बताया कि उत्तरांचल उत्थान परिषद पूरे सावन मास पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण का अभियान चलायेगी। महानगर में छः स्थानों पर अलग अलग तिथियों पर कार्यक्रम होंगे। श्री कोठियाल ने नगरवासियों से सहयोग की अपील की।

कार्यक्रम में डी.एन. उनियाल, प्रो. डी.डी. चौनियाल, ललित बुड़ाकोटी, चरण सिंह कण्डारी, नरेशचन्द्र कुलाश्री, मनोज बिष्ट, सुरेन्द्र नौटियाल, महेश चन्द्रा, शम्भू प्रसाद सती, विपुल जोशी, आनन्द सिंह रावत, राकेश राणा, देवेन्द्र दत्त उनियाल, गीता बिष्ट, उषा रावत, डा० मोहित बडोनी एवं राम प्रकाश पैन्यूली आदि का सहयोग रहा।

 

 

लोक संस्कृति के मर्मज्ञ डॉ. पुरोहित के व्यक्तित्व और कृतित्व पर पुस्तक का लोकार्पणMay be an image of 5 people, people smiling, hospital, dais and text

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के तत्वावधान में मंगलवार को पुस्तकालय के सभागार में सादे किंतु गरिमामय समारोह में विनसर पब्लिकेशन द्वारा लोक संस्कृति के मर्मज्ञ डॉ. डी.आर. पुरोहित के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
समारोह की अध्यक्षता दून पुस्तकालय के निदेशक प्रो. बी.के. जोशी ने की, जबकि मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल थी। उत्तराखंड के प्रख्यात लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार गिरीश सुंदरियाल ने किया। इससे पूर्व उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के उपलक्ष में दून पुस्तकालय परिसर में पौधारोपण भी किया गया।
“संस्कृति और रंगमंच के पुरोधा डॉ. डी.आर. पुरोहित” पुस्तक का संपादन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शास्त्री ने किया है। पुस्तक में अनेक विद्वान लेखकों ने डॉ. पुरोहित के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा उत्तराखंड की लोक संस्कृति के उन्नयन में दिए गए योगदान और पारंपरिक रंगमंच को दिए गए विस्तार का विशद वर्णन किया गया है।
समारोह में आगंतुक अतिथियों का स्वागत हिमाद गोपेश्वर के उमाशंकर बिष्ट ने किया जबकि सुदूर सलूड डुंग्रा के निवासी और राजकीय इंटर कॉलेज गौचर के प्रधानाचार्य डॉ.कुशल भंडारी, गढ़वाली कविता की सशक्त हस्ताक्षर श्रीमती बीना बेंजवाल ने डॉ. पुरोहित के योगदान का उल्लेख किया।
लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने डॉ. पुरोहित द्वारा लोक संस्कृति के क्षेत्र में की गई सेवाओं को अतुलनीय बताते हुए कहा कि उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी जैसे सम्मान से अलंकृत किया है।
मुख्य अतिथि प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि प्रो. पुरोहित उनके गुरु रहे हैं और गुरु के सम्मान का साक्षी बनना उनके लिए गौरव का विषय है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. बी.के. जोशी ने डॉ. पुरोहित को उत्तराखंड की अमूल्य निधि बताते हुए कहा कि लोक संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान को रेखांकित किया जाना निसंदेह अच्छा कार्य है। उन्होंने डॉ. पुरोहित को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के प्रो. डॉ. संजय पांडेय ने सदेई गायन की प्रस्तुति दी। उनके साथ हुडका और मोछंग पर सिद्धहस्त कलाकार रामचरण जुयाल ने संगत दी।
समारोह के मुख्य भाग ” उत्तराखंड में नंदा की गाथा – स्वरूप, महत्व और सार्वभौमिकता पर प्रो. पुरोहित ने विस्तार से प्रकाश डालते हुए प्रदेश की आराध्य भगवती नंदा के विविध स्वरूपों का विस्तार से प्रकाश डाला। उनके साथ जागर गायन में डॉ. शैलेंद्र मैठाणी ने संगत दी जबकि रामचरण जुयाल ने हुडके पर संगत दी।
समारोह में बड़ी संख्या में संस्कृति प्रेमियों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों, पत्रकारों ने भाग लिया।
इस अवसर पर दून पुस्तकालय के समन्वयक चंद्रशेखर तिवारी, डा.कुशल भंडारी, डॉ.नंद किशोर हटवाल, राष्ट्रीय सहारा तथा सहारा समय की स्टेट हेड ज्योत्सना, रियर एडमिरल ओ पी एस राणा, कुलानंद घनसाला, दिगपाल गुसाईं, साहित्यकार रमाकांत बेंजवाल, महिपाल गुसाईं, हरेंद्र बिष्ट, उमाशंकर बिष्ट, भूपत सिंह बिष्ट, डॉ. ओमप्रकाश जमलोकी, विनसर प्रकाशन के कीर्ति नवानी, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत, दिनेश जुयाल, वरिष्ठ रंगकर्मी, एस.पी. ममगाई, प्रो. पूनम सेमवाल, सुलोचना पयाल, दयाल सिंह बिष्ट, अतुल शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

 

हरेला पर संयुक्त नागरिक संगठन ने किया वृक्षारोपण

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देहरादून, उत्तराखंड़ लोक पर्व हरेला पर संयुक्त नागरिक संगठन ने वन विभाग के मालदेवता क्षेत्र में पर्यावरण प्रेमी और वरिष्ठ नागरिकों के साथ वृक्षारोपण कर अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, वनमंत्री सुबोध उनियाल, सांसद नरेश बंसल, विधायक उमेश शर्मा, वन सचिव आरके सुधांशु, हाफ प्रमुख डॉ. धनंजय मोहन, राजीव धीमान, कहकहां नसीम, प्रशासनिक अधिकारी बीपी गुप्ता सहित भारी संख्या में विभागीय अधिकारी और कार्मिकों ने अपनी सहभागिता निभा कर वृक्षारोपण किया |
संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने कहा बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिये वृक्षारोपण करना अाज पहली प्राथमिकता है, उन्होंने कहा कि संयुक्त नागरिक संगठन लोगों के बीच जाकर पर्यावरण संरक्षण के लिये कार्य करता रहेगा |

इस अवसर कैप्टन आर एस कैनथुरा,लेफ्टिनेंट कर्नल बीएम थापा, ब्रिगेडियर के.जी. बहल, मनोज ध्यानी,चौधरी ओमवीर सिंह, विशंभरनाथ बजाज, गिरीशचंद्र भट्ट, सुशील त्यागी, ठाकुर शेरसिंह, मोहनसिंह खत्री, अवधेश शर्मा आदि के साथ स्थानीय ग्रामीण, छात्र छात्राओं ने भी पौधारोपण में भाग लेकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

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