Monday, December 23, 2024
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सज गया माता का दरवार, 24 अगस्त दुर्वाष्टमी को होगा भब्य डाली कौथीग मेला

(देवेंन्द्र चमोली)
रूद्रप्रयाग- मां नंदा के मायके आगमन से लेकर विदाई का पर्व “पातबीडा” धार्मिक अनुष्ठान का आज ग्राम क्वीली के नंदा देवी मंदिर में वैदिक परम्पराओं व पूजा अर्चना के पश्चात शुभारम्भ हो गया। इस अवसर पर आयोजक ग्राम क्वीली, कुरझण व डकोटी के निवासियों द्वारा माता के मंदिर को भब्य रूप से सजाया गया है। 17 से 25 अगस्त तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के लिये धियांणियो का अपने मायके आगमन भी शुरु हो गया । आयोजन समिति ने बताया कि इस दौरान नंदा के जागरों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रहेगी। 24 अगस्त दुर्वाष्टमी को भब्य डाली कौथीग का आयोजन होगा।
मान्यता के अनुसार हेमन्त ॠषि और मैणावती की लाडली कन्या नंदा या गौरा का विवाह कैलास पति से हुआ। बारह वर्ष तक वह मायके नहीं आ सकी। तब नंदा की उपेक्षा से मायके में कई प्रकार के अनिष्ट होने लगे, तब मां नंदा के मायके वालों ने नंदा को मायके बुलाया।
ऐसी मान्यता है कि कुरझण, क्वीली, बडकोटी, सणगू, पाली, टेमना के खजूरिया पुरोहित नंदा के मायके वाले हैं इनके द्वारा नंदा को धियाण रुप में पूजा जाता है।
मायके में कुछ दिन रहने के बाद ससुराल विदाई का मार्मिक समय आता है, उस दिन दुर्वाष्टमी के दिन एक बडे चीड के पेड को गाढकर उस पर फल लगाए जाते हैं। देवी का अवतरित पश्वा उसपर चढ़कर फल वितरण करता है। साथ ही अंकुरित गेहूं और उडद को प्रसाद रूप में बितरित किया जाता हैं।
नंदा पातबीडा स्वागत समिति के अध्यक्ष शिक्षाविद् सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य चन्द्रशेखर पुरोहित ने बताया कि पातबीडा अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन नंदा के जागर गाये जाते हैं। उन्होने बताया कि इस दौरान भजन-कीर्तन, व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। यह उत्सव नंदा का मायके आगमन और ससुराल के लिये अश्रुपूर्ण विदाई का पर्व है । उन्होने बताया कि यह मूल रुप से धियाणियों का पर्व है। इस दौरान धियाणियों को मायके बुलाया जाता है। धियांणियां अपने साथ ऋतु फलों को लाती है जिसे डाली पर सजाया जाता है। उन्होने बताया कि “पातबीडा” पात का अर्थ पेड़ व बीडा का अर्थ अंकुरित अनाज से है। जिसे नंदा की विदाई पर प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है।
आयोजन समिति द्वारा मां नंदा के मंदिर को भब्य रूप से सजाया गया है, आज प्रथम दिन मां नंदा के मायके आगमन पर पारंम्परिक वाद्ध यंत्रों की थाप पर अवतरित पश्वा , भक्तों द्वारा मां नंदा के जयकारों व ग्रामीण महिलाओं द्वारा नंदा जागरों की गूंज ने माहौल भक्तिमय बना दिया। सत्रह वर्षो के बाद हो रहे इस आयोजन को लेकर आयोजन समिति सहित नंदा भक्तों में भारी उत्साह बना हुआ है।

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