Friday, May 16, 2025
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डीजीपी पर लगाया सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप

सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने उत्तराखंड़ में बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाओं पर चिन्ता जताई

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), उत्तराखंड़ इंसानियत मंच के बैनर तले विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने आज प्रेस क्लब में पत्रकारों के साथ बातचीत की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के पुलिस महानिदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाया है। डीजीपी को सलाह दी गई कि वे कानून के अनुसार काम करें न कि सत्ताधारी बीजेपी नेताओं के कहने पर। डीजीपी पर यह भी आरोप लगाया गया वे सामाजिक संगठनों के बार-बार अनुरोध के बाद भी मिलने का समय नहीं दे रहे हैं।
उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2022 को उत्तराखंड के डीजीपी को स्पष्ट निर्देश दिये थे और कहा था कि यदि कोई भी व्यक्ति कोई ऐसा बयान देता है, जिससे आईपीसी की धारा 153ए, 153 बी, 295 ए और 505 का उल्लंघन होता हो, तो किसी से शिकायत मिलने का इंतजार न करें, बल्कि स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा दर्ज करें। ये धाराएं समुदायों में दुश्मनी, देश की एकता, किसी के धर्म को अपमानित करना जैसे अपराधों से संबंधित हैं। बीएनएस में इन धाराओं का क्रमांक बदल गया है।
डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि उत्तराखंड में लगातार साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने का प्रयास हो रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसी हरकतें बड़े पैमाने पर की जा रही हैं। पुलिस ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर भी रखती है, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने कहा पूरे देश में साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ा जा रहा है। उन्होंने नैनीताल की शैला नेगी के साथ ही हिमांशी नरवाल, विक्रम मिसरी और सोफिया कुरैशी को ट्रोल किये जाने की निन्दा की।
महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि दून अस्पताल की मजार तोड़े जाने के खिलाफ राज्यपाल को ज्ञापन देने पर कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल किया। ट्रोल करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ थाना नेहरू कॉलोनी में मुकदमा दर्ज करवाया गया तो सोशल मीडिया पर लाइव आकर उसने उन्हें एक्टिविस्ट इंद्रेश मैखुरी को फिर से गालियां दी। इसके साथ ही कमला पंत को भद्दी गालियां दी गई। उन्होंने कहा कि इस तरह के लोग ऐसी हिम्मत इसलिए कर पा रहे हैं कि उन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। पुलिस ऐसे लोगों को बचाने का प्रयास करती है।
सामाजिक कार्यकर्ता लताफत हुसैन ने कहा कि दून अस्पताल की मजार वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड होने के बावजूद तोड़ी गई, जबकि नये वक्फ कानून पर अभी सुप्रीम कोर्ट की रोक है। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों का जवाब तलब किया है। उत्तराखंड मसीह समाज के धर्म गुरु एसएस चौहान ने कहा कि ईसाई समाज के लोगों को चकराता में कई तरह से परेशान किया जा रहा है। चकराता की चर्च का रास्ता रोका गया है। संबंधित अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
समाजवादी पार्टी के डॉ. एसएन सचान ने सभी राजनीतिक दलों की ओर से बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड में नफरत फैलाई जा रही है, वह गंभीर है। इस मामले में सपा के साथ ही कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई माले भी उत्तराखंड इंसानियत मंच के साथ है। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के शीशपाल सिंह बिष्ट, सीएमएम के राजेन्द्र पुरोहित, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, दून सिटीजन फोरम के जगमोहन मेहंदीरत्ता, किसान सभा के सुरेन्द्र सजवाण, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, इप्टा के वीके डोभाल, एनएपीएसआर के आरिफ खान आदि मौजूद थे।

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