श्रीहरिकोटा, भारतीयों को गौरवांवित करने का वो क्षण आखिर आ ही गया, जिसका हरेक हिन्दुस्तानी को इंतजार था। पिछली असफलता को पीछे छोड़ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने इस बार चांद को मुट्ठी में करने की अपनी कसम को पूरी कर ली। 140 करोड़ भारतीयों को गौरान्वित करने वाला वह क्षण जब भारत चांद पर सवार होकर चांद की मिट्टी को चूमने के लिए चंद्रयान 3 शान से उतर गया है। कड़ी उड़ान रिहर्सल के बाद 14 जुलाई को चंद्रमा पर चंद्रयान श्रृंखला का तीसरा मिशन इसरो ने लॉन्च किया था। अब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 3 ने चांद के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है।
चंद्रमा पर जाने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अपनी तरह की अनूठी परियोजना अक्टूबर 2008 में लॉन्च की गई थी। जिसमें एक चंद्र ऑर्बिटर और एक इम्पैक्टर शामिल था। चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद, मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईबी) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के शेकलटन क्रेटर के पास जानबूझकर क्रैश लैंडिंग की। प्रभाव स्थल का नाम जवाहर पॉइंट रखा गया। 386 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ परियोजना के लिए कुछ उपकरणों की आपूर्ति नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) और ईएसए (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) जैसी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा की गई थी।
चंद्रयान-2 से मिले सबक को सीखकर इसरो ने चंद्रयान-3 के साथ आगे अपने कदम बढ़ाए। चंद्रयान-3 मिशन के लिए प्रणोदन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को तब तक ले जाएगा जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किमी चंद्र कक्षा में न हो जाए। उसके बाद, लैंडर अलग हो गया और मंज़िनस क्रेटर के पास सॉफ्ट लैंडिंग का लक्ष्य रखा। खतरों का पता लगाकर मशीनरी को सुरक्षित रखने में मदद करने के साथ ही चंद्रयान-3 को कई उन्नत तकनीकों के साथ डिजाइन किया गया। लैंडिंग पैरों को और मजबूत किया गया है, जिससे सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास आसान हो जाए।
लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिग की है। अब रोवर प्रज्ञान बाहर निकलकर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। लैंडर के अंदर से रोवर 1 सेंटीमीटर/सेकेंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा। इसे निकलने में 4 घंटे लगेंगे। बाहर आने के बाद ये चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। ये चंद्रमा पर 1 दिन (पृथ्वी के 14 दिन) काम करेगा।
चंद्रयान 3 : आखिर लैंडिंग के लिए क्यों चुनी गई 23 तारीख
नई दिल्ली, चंद्रयान 3 के पीछे जहां वैज्ञानिकों की पूरी टीम की मेहनत लगी वहीं हर कदम फूंक फूंक कर रखना पड़ा। जैसे कि लांचिंग और लैंडिंग का समय।
भारतीय स्पेस एजेंसी के अनुसार, विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए जो जगह फाइनल की जानी थी वहां पर सूर्योदय होने तक इंतजार करना जरूरी था। वैसे भी चंद्रयान को ऐसे वक्त में चांद पर उतारने के लिए चांद पर 14 दिन सूरज की रोशनी होना जरूरी है। हर कोई ये भी जानने को उत्सुक हैं कि आखिर चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तारीख 23 ही क्यों चुनी गई। इसके पिछे भी एक कारण निकल कर सामने आया है और वो ये कि चंद्रयान-3 में लगा लैंडर और रोवर सूरज की रौशनी का इस्तेमाल करेगा, जो कि इसके इक्विपमेंट्स के चार्ज रहने के लिए जरूरी है। चांद पर 14 दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है, दिन में काफी गर्मी होती है तो वहीं रात में काफी ठंड होती है और दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है। इसीलिए चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा जब वहां 14 दिन सूरज की रोशनी रहेगी।
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की कामना के लिये किया यज्ञ का आयोजन
देहरादून, भारतीय जनता पार्टी, अंबेडकर नगर मंडल राजपुर रोड विधानसभा द्वारा घंटाघर स्थित पंचायती मंदिर में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की कामना हेतू एक यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा हवन किया गया, जिसमें उन्होंने अग्नि देव से प्रार्थना करी कि चंद्रयान की सफल लैंडिंग हो और भारत ऐसा करने वाला पहला देश बने।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से देहरादून के प्रथम नागरिक श्री सुनील उनियाल गामा जी ,भाजपा महानगर अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ अग्रवाल जी, अंबेडकर नगर मंडल अध्यक्ष पंकज शर्मा जी, मंडल प्रभारी संदीप मुखर्जी, महामंत्री अभिषेक नौडियाल, भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष अर्चित डाबर , अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष अंकुर जैन, डॉ० जीएन राव, मंडल मंत्री दीपक जेठी, सोशल मीडिया संयोजक हिरदेश लूथरा, अंकित गुप्ता, मंडल उपाध्यक्ष अनूप गोयल, भाजपा नेता गोपाल पुरी, रईस अंसारी ,शानू सभरवाल, प्रीत करणवाल, राजकुमार प्रजापति एवं क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित हुए।
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