देहरादून, बाबा रामदेव और एलोपैथी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा, दोनों तरफ बयानबाजी जारी है, इस बीच विरोध स्वरूप प्रदेशभर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ से जुड़े डॉक्टरों ने आज मंगलवार को काला फीता बांधकर काम किया। बाबा रामदेव के एलोपैथी और उससे जुड़े डॉक्टरों के खिलाफ दिए गए बयान के खिलाफ डॉक्टरों ने विरोध जताया। इसमें एम्स और सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर भी शामिल रहे।
आईएमए के सचिव डा. अजय खन्ना ने बताया कि बाबा रामदेव के एलोपैथी को लेकर दिए गए बयान से सभी डॉक्टरों में गुस्सा है। आईएमए के साथ ही सभी सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेज, एम्स के जूनियर डॉक्टर भी विरोध में शामिल हुए।
आईएमए के डा. खन्ना ने बताया कि पीएमएचएस डॉक्टरों ने भी उनको समर्थन दिया है। राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर पूरे देश में डॉक्टर काला फीता बांधकर ही काम कर रहे हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा। डॉ. अजय खन्ना ने कहा कि हमने बाबा को खुली बहस की चुनौती दी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है। हम अभी भी उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ(पीएमएचएस) के प्रदेश महासचिव डॉ मनोज वर्मा ने कहा कि बाबा रामदेव के बयान से डॉक्टरों का मनोबल गिरा है। डॉक्टर कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने में दिन रात जुटे हैं। ऐसे में बाबा रामदेव का एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर दिया गया बयान निंदनीय है। वहीं, उन्होंने सरकार पर हमला बोलते ह़ुए कहा कि सरकार भी इस मामले में कुछ नहीं कर रही है। इसलिए उन्होंने सभी सरकारी चिकित्सकों से अपील की कि वे भी आईएमए के आंदोलन में अपना समर्थन दें।
इसलिए शुरू हुआ था विवाद
हाल ही में बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने एलोपैथी को निशाना बनाया था, उन्होंने कहा था कि टीके लगवाने के बाद भी कई डॉक्टरों की मौत हो गई। उनके इस बयान पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कड़ा एतराज जताते हुए माफी की मांग की थी, बाबा रामदेव के बयान के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड की ओर से बाबा रामदेव को एक हजार करोड़ का मानहानि का नोटिस भी भेज चुका है। वहीं, यह मामला अब पीएम मोदी तक भी पहुंच गया है
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