देहरादून। उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों को समान पद, समान वेतन और होमगार्ड को अभी तक एरियर का इंतजार है। उपनल कर्मियों के मामले में सरकार फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है तो वहीं होमगार्ड को एरियर देने का मसला वित्त विभाग के पास लंबित चल रहा है। उत्तराखंड में 20 हजार से अधिक उपनल कर्मी और छह हजार से अधिक होमगार्ड विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
उपनल कर्मियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इसमें अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रेणी शामिल हैं। हर श्रेणी का अलग-अलग वेतनमान है। सरकार ने इसी वर्ष जुलाई में उपनल कर्मियों के मानदेय में बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। बावजूद इसके उपनल कर्मी लगातार होमगार्ड के मानदेय का हवाला देते हुए इसमें भी बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं। दरअसल, कुछ समय पहले प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान पद समान वेतन देने के निर्देशों के क्रम में होमगार्ड के मानदेय में बढ़ोतरी की है।
होमगार्ड को प्रतिदिन 600 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। ऐसे में उन्हें प्रतिमाह 18 हजार रुपये और उससे अधिक मिल रहे हैं। सरकार ने बीते वर्ष दिसंबर में इसके आदेश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने होमगार्ड को यह वेतन जुलाई 2017 से देने के निर्देश दिए थे। ऐसे में तकरीबन सरकार को अभी होमगार्ड को ढाई वर्ष का वेतन देना है। होमगार्ड की तर्ज पर ही उपनल कर्मियों ने हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सरकार ने उपनल कर्मियों के वेतन से जीएसटी की कटौती न करने और इनकी नियमित नियुक्ति करने के संबंध में आदेश जारी किए थे। प्रदेश सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में है जहां यहां मामला चल रहा है।
हालांकि, सरकार ने इनके वेतन में बढ़ोतरी तो की है बावजूद इसके उपनल के जरिये कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर का वेतन होमगार्ड से तकरीबन पांच हजार रुपये कम है। इसी विसंगति को आधार बनाते हुए उपनल कर्मी भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख रहे हैं।
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