जम्मू. आत्म विश्वास, निरंतर प्रयास जिंदगी की दिशा बदल देते है. लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत तो जरूरी है लेकिन हमे हार नहीं माननी है. जम्मू के आरएसपुरा के अभिषेक अगस्तया ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा में 38वां रैंंक हासिल करके अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है.
अभिषेक अगस्तया ने साल 2014 में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नॉलजी से कंप्यूटर साइंस से बीटेक की डिग्री की. उसके बाद सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरु कर दी. उन्होंने बताया, ‘चौथी बार साल 2018 में मैं पहली बार परीक्षा पास करने में सफल रहा. यह मेरे निरंतर प्रयास थे. मैंने हिम्मत नहीं हारी. मेरा रैंक 268वां आया. इस दौरान मेरी ट्रेनिंग शिमला में शुरु हो गई. मुझे इंडियन आडिटर एंड एकाउंट्स सर्विस मिली. मैंने सोचा कि क्यों न रैंक में सुधार करूं. मैंने ट्रेनिंग के दौरान ही अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत शुरु कर दी. आज उसका नतीजा मेरे सामने है. मेरा रैंक अब 38वें स्थान पर पहुंच गया.
अभिषेक मूल रूप से जम्मू के आरएएसपुरा के रहने वाले हैं. उनके पिता स्कूल शिक्षा विभाग में लेक्चरर हैं. अभिषेक की बहन मेडिकल कॉलेज जम्मू में पीजी कर रही हैं. अभिषेक का कहना है कि आत्म विश्वास के साथ कड़ी मेहनत जरूरी है. अगर आप निरंतर प्रयास करते रहेंगे तो लक्ष्य जरूर हासिल होगा. हर कोई कर सकता है, बस कड़ी मेहनत और आत्म विश्वास चाहिए. पहले मैंने सोचा था कि यह मेरे से नहीं होगा. पहली बार तो प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाया था. मैंने तीसरी कोशिश में परीक्षा पास की है. मेरा जम्मू कश्मीर विशेषकर डोडा जिला के युवाओं से यही आह्वान है कि कुछ भी असंभव नहीं है. बस मेहनत करो.
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस में 248वां रैंक डा. असरार अहमद किचलू का है. मूल रूप से डोडा जिला के भद्रवाह के रहने वाले असरार को एमबीबीएस की इंटर्नशिप के दौरान ख्याल आया कि लोगों की सेवा के लिए कुछ करना चाहिए. हालांकि मेडिकल भी एक योग्य पेशा है लेकिन सेवा का दायरा बढ़ा होने के बारे में सोचा. मैंने इंटर्नशिप के दौरान ही तैयारी शुरु कर दी थी. हालांकि उस दौरान पूरा समय नहीं मिलता था. परेशानी पेश आती थी. बाद में मैंने पढ़ाई शुरु की. हिम्मत नहीं हारी. पहले तो मुझे लगा कि यह मेरे बस का काम नहीं है लेकिन अभिभावकों, मित्रों, रिश्तेदारों का प्रोत्साहन मिला. आज जब मेरे एक मित्र ने मुझे परिणाम की जानकारी दी तो पहले तो यकीन ही नहीं हुआ. मेरे परिवार के सदस्य, इलाके के लोग बहुत खुश है. मेरी स्कूली शिक्षा जम्मू से ही सेंट पीटर स्कूल से हुई है. उसके बाद एमबीबीएस शुरु की. खुशी है कि चिनाब घाटी विशेषकर डोडा के युवा भी आगे आ रहे है. कम से कम छठ आठ घंटे पढ़ने की जरूरत है. हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट वर्क.
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