देहरादून, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (फेफड़ो से जुडी बीमारियों) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए देहरादून के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में हास्पीटल के छाती रोग विशेषज्ञ ने सीओपीडी के बढते प्रकोप पर चिंता जताई। पल्मोनोलॉजी विशेषज्ञों ने लोगों को इस रोग की पहचान करने के लिए उसके लक्षणों के बारे में जागरूक रहने की आवश्यकता पर बल दिया तथा इन विशेषज्ञों ने इस रोग को लेकर कायम गलत धारणाओं तथा रोग के सही तथ्यों के बारे में लोगों को जागरूक किया। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने फेफडे की इस खास बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इस मौके पर स्लोगनों और नारों से युक्त गुब्बारे छोडे। बीमारी के बारे में लोगों को जानकारी देने और जागरूक करने के लिए गतिविधि का आयोजन किया गया और इससे बचने के लिए किन निवारक उपायों पर अमल करने की आवश्यकता है इस बारे में जानकारी दी गई।
सीओपीडी के लक्षण
– सांस की तकलीफ बढ़ जाना
– लगातार खांसी आना (बलगम के साथ ध् बिना बलगम के)
– घरघराहट
– छाती में जकड़न
सीओपीडी (फेफड़ो से जुडी बीमारियों)तेजी से बढने वाला एक श्वसन रोग है जो जहरीले, विषाक्त कणों के सांस के जरिए अंदर जाने और प्रदूषण के कारण होता है।
पल्मोनोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ पुनीत त्यागी ने कहा, “कई लोग सांस फूलने और खांसने की दर में वृद्धि को उम्र बढ़ने का एक सामान्य लक्षण मानने की गलती करते हैं। सीओपीडी के शुरुआती चरणों में, व्यक्ति इसके लक्षणों को महसूस नहीं कर सकता है, लेकिन सीओपीडी सांस की तकलीफ के बगैर कई वर्षों में विकसित हो सकता है। इसके लक्षण केवल अधिक विकसित चरणों में स्पष्ट होते हैं। सीओपीडी फेफड़ों की बीमारी का एक प्रगतिशील रूप है, जो हल्के से लेकर गंभीर तक होता है। इसमें फेफड़ों के अंदर हवा जाने और बाहर निकलने में बाधा आती है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।”
डॉ त्यागी ने कहा, “दवाओं, ऑक्सीजन थेरेपी और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के अलावा, जीवनशैली में बदलाव करना बहुत महत्वपूर्ण है। मैक्स में हमारे पास पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसके तहत लंग वाल्युम्स एंड डिफ्युजन सहित स्पाइरोमेट्री, कम्पलीट पल्मोनरी फंक्शन टेस्टिंग उपलब्ध है। साथ ही रेस्पाइरेटरी आईसीयू के साथ अत्याधुनिक स्लीप लैब भी है जिसकी आवश्यकता श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियों के निदान के लिए होती है।
पल्मोनोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ वैभव चचरा ने कहा, “किशोरों और युवा पीढ़ी में पाइप, सिगार वॉटर पाइप, हुक्का धूम्रपान, और पॉकेट मारिजुआना पाइप आदि के रूप में धूम्रपान का चलन बढ़ गया है। सीओपीडी धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों में भी पैसिव स्मोकिंग और वातावरण में तम्बाकू के धुएं के मौजूद होने के कारण विकसित हो सकता है। ये सभी कारक एक साथ फेफड़ों में इंजुरी, फेफड़ों में धीरेदृधीरे इंफ्लामेशन पैदा कर सकते हैं और फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम कर सकते हैं और श्वास के जरिए ऑक्सीजन को लेने और कार्बन डाई ऑक्साइड को छोडने की मात्रा को कम कर सकते हैं।
मैक्स अस्पताल, देहरादून राज्य में सबसे अच्छी चिकित्सा प्रौद्योगिकी को लाने में हमेशा सबसे आगे रहा है। इसी प्रवृत्ति को बरकरार रखते हुए, इसने अब इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी भी शुरू किया है जिसमें शामिल हैं –
1. ईबीयूएस (एंडोब्रोनकियल अल्ट्रासाउंड)
2. किसी भी उम्र के नवजात शिशुओं के लिए फ्लेक्सिबल ब्रोन्कोस्कोपी
3. ट्रेकियल स्टेंटिंग
4. फॉरन बॉडी रिमूवल
5. थोरैकोस्कोपी
6. स्मोकिंग सिजेशन क्लिनिक
7. लंग कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम
8. मैक्स हेल्दी लंग मिशन
मैक्स देहरादून में अब अत्याधुनिक परीक्षणों की सुविधा उपलब्ध है। इससे आपके फेफड़ों में विकसित होने वाले किसी भी सीओपीडी पर नजर रखना न केवल आसान है, बल्कि रोग का प्रभावी ढंग से और आसानी से इलाज भी संभव है।
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