नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने बुधवार को पटाखे दागने से होने वाले प्रदूषण के मामलों की सुनवाई का दायरा एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) से बढ़ाते हुए 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। इन राज्यों की हवा गुणवत्ता मानकों से कमतर है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह पहले ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर चुकी है।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान की सरकारें पटाखों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने को लेकर पहले ही अधिसूचना जारी कर चुकी हैं। एनजीटी ने इस मामले में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और बंगाल से जवाब मांगा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की पीठ ने कहा कि सभी संबंधित राज्य जहां हवा की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, वे ओडिशा और राजस्थान की तरह कदम उठाने पर विचार कर सकते हैं। ट्रिब्युनल ने कहा कि वह खराब वायु गुणवत्ता वाले 122 शहरों में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर भी विचार कर सकता है। इन शहरों की हवा की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) करता है।
पीठ ने कहा कि समस्या को देखते हुए हम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर रहे हैं। इन राज्यों के मुख्य सचिवों को ईमेल से नोटिस दिए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है एनजीटी ने सोमवार को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और चार राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या जनहित में सात नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। एनजीटी के पास इस कोरोना काल में पटाखों पर रोक लगाने की मांग को लेकर कई याचिकाएं लंबित हैं।
एक याचिका में कहा गया है, ‘प्रदूषण बढ़ने से ऐसे लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है, जिन पर पहले से ही कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है। साथ ही इससे मृत्यु दर भी बढ़ सकती है। अभी दिल्ली में रोजाना कोरोना संक्रमण के करीब 5,000 नए मामले आ रहे हैं और यह संख्या बढ़कर 15 हजार पर पहुंच सकती है। ग्रीन (ईको फ्रेंडली) पटाखे फोड़ना समस्या का समाधान नहीं है। हवा में धुआं भर जाएगा और गैस चैंबर जैसी स्थिति बन सकती है।
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