मुनस्यारी, 4 अगस्त। आपदाग्रस्त मुनस्यारी क्षेत्र की उपेक्षा के खिलाफ आज पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा विभिन्न संगठनो व सामाजिक कार्यकर्ताओ ने सांकेतिक रुप से दो घंटे धरना देकर जोरदार प्रदर्शन किया. कहा कि आपदा के 20 दिन बीत गए है, न मुख्यमंत्री देखने आए न ही हालातो में कोई सुधार आया है. आपदा से हुए नुकसान की भरपाई व सुरक्षा कार्य के लिए 100 करोड़ रुपये का पहला आपदा प्रबंधन पैकेज दिए जाने की मांग की. आज फिर मुख्यमंत्री को पत्र दिया गया है कि एक सप्ताह में सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जायेगा.
” मैं मुनस्यारी हूं ” के बैनर तले आज हुए धरने में पंचायत प्रतिनिधियो के अलावा उद्योग व्यापार मंडल, मल्ला जोहार विकास समिति, मुनस्यारी महोत्सव समिति, सरपंच संगठन ने भाग लिया. दो घंटे धरना प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. धरना स्थल पर सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री पर निशाना साधा गया.कहा गया है राज्य के इतिहास में ये पहले सीएम है जो बीस लोगो के आपदा में अकाल मौत हो जाने के बाद भी वे दुखित लोगो से मिलने तक नहीं आए. मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र एसडीएम को सौपा. पत्र में मुनस्यारी में स्थाई एसडीएम की तैनाती करने, कोरोना सक्रंमण फैलाने वाले बसेडा अस्पताल के मालिक सहित दो नोडल अधिकारियो के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाय.
पत्र में आपदा के बीस दिन के बाद भी लोनिवि के 12 मोटर मार्ग बंद है. बी.आर.ओ.की मनमानी चरम पर है. धापा बैंड से लीलम, मुनस्यारी से जौलजीबी मोटर मार्ग को अभी तक खोला नहीं गया है.
पीएमजीएसवाई की हरकोट,आलम दारमा,रिंगू -चुलकोट – उच्छैती मोटर मार्ग भी बंद है. एनपीसीसी कंप्नी को पापड़ी मोटर मार्ग के बंद होने से पापडी , पैंकुती मोटर मार्ग बंद होने से जनता परेशान है.
पत्र में बी.आर.ओ., लोनिवि, पीएमजीएसवाई जनित आपदा से हुए नुकसान की भरपाई व आगे रोकथाम के लिए कार्ययोजना बनाने की मांग उठाई.
आपदा प्रभावितो को पुर्नवास के लिए निःशुल्क भूमि के साथ आठ लाख रुपये देने की मांग भी उठी.
जिप सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुनस्यारी की उपेक्षा के खिलाफ लगातार आंदोलन किया जायेगा.कहा कि सरकार नहीं चेती तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहे.
धरने में मल्ला जोहार विकास समिति के अध्यक्ष श्रीराम सिंह धर्मसत्तू, उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष राजू पांगती,केदार सिंह मर्तोलिया,बीना नित्वाल, कौशल्या, खुशाल सिंह ज्योष्ठा, रघुनंदन सिंह रावत, राजेन्द्र गनघरिया, पुष्कर नित्वाल, हरीश चिराल,जीतू ज्यैष्ठा, राजू सेमिया, देवेन्द्र सिंह देवा आदि मोजूद रहे.
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