एक साल की लंबी पाबंदी के बाद जम्मू कश्मीर के दो ज़िलों में 4जी इन्टरनेट सेवा ट्रायल के तौर पर शुरू कर दी गईं. दोनों ही ज़िले, जम्मू का उधमपुर और कश्मीर का गांदरबल अंतर्राष्ट्रीय सीमा से नहीं लगते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार देर रात से 4जी सेवा शुरू की गई. इससे पहले जनवरी महीने यहां 2जी सेवा शुरू की गई थी.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक़ 9 सितंबर तक चलने वाले इस ट्रायल के दौरान समीक्षा की जाएगी कि 4जी सेवा के शुरू होने के बाद किस तरह की चुनौतियां सामने आतीं हैं. इसके बाद दूसरे ज़िलों के बारे में फ़ैसला लिया जाएगा.
जम्मू में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बीबीसी तो बताया कि 4जी सेवा शुरू होते ही सोशल मीडिया पर कुछ आपत्तिजनक पोस्ट डाली गईं, इसे लेकर रविवार को मामला भी दर्ज किया गया.
उनके मुताबिक इंटरनेट नहीं होने से व्यापारियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. वो कहते हैं, “जब पाबंदी लगाई गई थी तो ज़्यादातर काम ऑनलाइन हो रहा था.”
टैक्स जमा करने से लेकर फॉर्म भरने और शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िले के लिए, लोग पूरी तरह से इन्टरनेट पर निर्भर थे. इसके अलावा बड़े व्यापारी भी इसपर निर्भर थे.
बातचीत के दौरान कई लोगों ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने अपने फ़ोन को अपडेट किया और लोगों को वीडियो कॉल किया.
सामाजिक कार्यकर्ता तरुण उप्पल कहते हैं, “अगर ट्रायल के तौर पर 4जी की सेवा शुरू करनी थी तो मुख्यालय जम्मू में भी करनी चाहिए थी. जम्मू में उग्रवादी घटनाएं नहीं के बराबर ही रही हैं और दूसरे इलाकों की तुलना में जम्मू काफी सुरक्षित है.”
सोशल मीडिया पर नियंत्रण होगा मुश्किल
लेकिन सरकारी अमले को लगता है कि 4जी सेवाओं के शुरू होते ही सोशल मीडिया पर नियंत्रण मुश्किल हो जाएगा जिसका फ़ायदा अलगाववादी उठाएंगे.
उधमपुर की रूबी पंडोह ने कहा कि वो सरकार के हर फै़सले के साथ हैं क्योंकि सुरक्षा बहुत ज़रूरी है. उनका कहना था कि जब तक पाबंदी थी तब तक चीज़ें नियंत्रण में ही रहीं. लोगों को परेशानी ज़रूर हुई लेकिन राष्ट्रहित के लिए ज़रूरी था.
मगर उप्पल कहते हैं कि प्रतिबंध से परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ. उनका कहना है कि पिछले साल 5 अगस्त से पहले जो घुसपैठ होती थी वो पकिस्तान से होती थी, लेकिन “हाल के कुछ महीनों में जो आतंकवादी मारे गए हैं उनमे से 90 प्रतिशत स्थानीय थे जबकि सिर्फ 10 प्रतिशत पकिस्तान के थे.”
उनका तर्क है कि अगर सरकार यह 4जी पर प्रतिबंध लगाकर अगर ये सोचती है कि उसने विघटनकारी शक्तियों को नाकाम किया है तो ये ग़लत है क्योंकि वो अपना काम 2जी पर भी करते रहे होंगे, “इसलिए सिर्फ इसी को आधार बनाना सही नहीं है.”
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में लोकसभा और विधानसभा की परिसीमन की प्रक्रिया भी होने वाली है. जानकारों का मानना है कि इस प्रक्रिया के ख़त्म होने के बाद ही सरकार 4जी को सभी इलाकों में शुरू करने के बारे में सोचेगी. हालांकि सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है.
दो ज़िलों में प्रयोग के तौर पर 4जी की सुविधा शुरू करने के लिए जारी आदेश में गृह विभाग के प्रमुख सचिव शालीन काबरा ने कहा है, “हाई स्पीड डेटा सेवाएं गांदरबल (कश्मीर) और उधमपुर (जम्मू) में सिर्फ प्रयोग स्वरुप ही बहाल की जा रहीं हैं. बाक़ी के जिलों में इन्टरनेट की स्पीड को 2जी तक ही सीमित रखा जाएगा. ये सेवाएं पोस्ट पेड मोबाइल सेवाओं पर लागू होंगी जबकि प्रीपेड सेवाओं में ये तब तक उपलब्ध नहीं होंगी जब तक उनकी जांच और सत्यापन वैसे नहीं कराया जाता जैसे पोस्ट पेड कनेक्शन के लिए अनिवार्य है.”
इस मुद्दे पर कश्मीर के नेता मुहम्मद यूसुफ़ तारीगामी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोग सरकार से चाँद सितारे नहीं मांग रहे हैं हम तो बस वही मांग रहे हैं जो संसद में सरकार ने वादा किया था. वादा किया था कि जम्मू कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा. हम तो सरकार को यही याद दिलाना चाहते हैं. मुख्यधारा तो छोड़ दीजिये, सरकार ने इस पूरे इलाके को बाक़ी के देश के साथ मिलाने की बजाय उससे अलग ही कर दिया.”
तारीगामी कहते हैं कि सरकार जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के इलाकों को वही सुविधाएं उपलब्ध कराये जो पूर्वोत्तर भारत के उन राज्यों को दी जा रहीं हैं जिसकी सीमाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटी हुई हैं.
यूसुफ़ तारीगामी कहते हैं कि इंटरनेट की वजह से ही स्वतंत्रता दिवस की खुशियां भी घाटी में फीकी रहीं.
उनका कहना था कि वैसे तो पिछले साल के अगस्त से ही इंटरनेट पर पाबंदी लग गयी थी, लेकिन कोरोनो वायरस की वजह से हुई तालाबंदी ने जिंदगी को और मुश्किल बना दिया. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई हो या डाक्टरों से संपर्क करना, इंटरनेट बेहद ज़रूरी हो गया था.
जम्मू कश्मीर में हाई स्पीड इन्टरनेट सेवाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब भी माँगा था.
सरकार की तरफ से भारत के अटॉर्नी जेनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार प्रयोग स्वरुप जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों में 4जी इन्टरनेट की सेवाएं शुरू करेगी. इसके बाद इसकी समीक्षा की जाएगी. source: bbc.com/hindi
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