नई दिल्ली। शहरी विकास मंत्रालय की पहल पर देश के विभिन्न शहरी निकायों में पिछले सवा महीने के भीतर ही एक लाख रेहड़ी पटरी वालों को रियायती दर पर ऋण मुहैया करा दिया गया है। जबकि इस दौरान तकरीबन पांच लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी जांच परख की जा रही है। अगले एक साल के भीतर तकरीबन 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों को स्वनिधि योजना का लाभ देने का लक्ष्य है।
कोरोना महामारी के चलते लागू लाकडाउन से सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर छोटी मोटी दुकान चलाने वालों की रोजी रोटी की समस्या गंभीर हो गई थी। उन्हें आर्थिक मदद से उबारने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जून 2020 को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि की घोषणा की। इस योजना में ऐसे लघु कारोबारियों के लिए बैंक से बिना गारंटी के ऋण देने का प्रावधान है। लाकडाउन के दौरान जिन दुकानदारों की पूंजी टूट गई, उन्हें पीएम स्वनिधि योजना से संभलने का मौका मिलेगा।
योजना में 10 हजार रुपये का ऋण होगा, जिसे निर्धारित एक साल में लौटा सात फीसद की ब्याज दर लौटाना होगा। जो व्यापारी इसमें खरा साबित होगा, उसे 1200 रुपये सालाना कैशबैक मिलेगा। इसके बाद बैंक से वह फिर ऋण ले सकता है। आन लाइन आवेदन मांगे जाने के मात्र 41 दिनों के भीतर पांच लाख से अधिक लोगों ने आवेदन कर दिया, जिसमें से एक लाख एक रेहड़ी पटरी वाले दुकानदारों के ऋण आवेदन मंजूर भी कर लिए गए हैं। दो जुलाई के बाद से अब तक आवेदन करने वालों की बाढ़ सी आ गई है। दो जुलाई को शुरु हुई योजना में लगातार आवेदनों की संख्या बढ़ रही है।
चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कुल 50 लाख से अधिक रेहड़ी पटरी वालों को स्वनिधि योजना का लाभ देने का फैसला किया गया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पीएम स्वनिधि योजना का शुभारंभ किया गया। इसके तहत केवल शहरी क्षेत्र के 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों को वित्तीय मदद मुहैया कराने का फैसला किया गया। इसमें सरकारी व निजी बैंकों के साथ गैर बैंकिंग संस्थाओं को शामिल किया जाएगा जो इन छोटे कारोबारियों की मदद में आगे आएंगी। इस योजना में स्माल इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बैंक आफ इंडिया (सिडबी) सहयोगी संस्था के रूप में करेगी। |(साभार जागरण)
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