Saturday, September 21, 2024
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हाईकोर्ट ने ‘मद्य निषेध नीति बनाने को कहा, ’ खुलवा दी सरकार ने शराब फैक्ट्रियां, अवमानना नोटिस जारी

नैनीताल/देहरादून, उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल ने ऐतिहासिक फैसला देकर 6 महीने के भीतर राज्य सरकार को मद्यनिषेध नीति बनाने के निर्देश दिए। लेकिन सरकार ने नीति न बनाने पर अब अधिवक्ता डी के जोशी अवमानना याचिका दाखिल की है। उल्लेखनीय हो कि वर्ष 2017 में हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी डी के जोशी ने शराब के जहरीले कारोबार पर रोक लगाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसके तहत एक साल पूर्व 29 अगस्त 2019 को हाई कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिए कि 6 माह के भीतर मद्यनिषेध नीति बनाये, साथ ही अन्य महत्वपूर्ण निर्देश दिए जैसे प्रदेश में संचालित सभी शराब *दुकान व बार रेस्टोरेंट में IP address युक्त CCTV लगाने के भी आदेश दिए गए।

21 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्ति को शराब सेवन खरीदने के प्रतिबंध को सख्ताई से पालन करने हेतु निर्देश जारी किए गए।
बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री, पूर्णागिरी,रीठा साहेब, हेमकुंड साहेब व नानकमत्ता तीर्थ स्थलों में शराब बंदी लागू करने के भी निर्देश दिए।
लेकिन सरकार पर हाई कोर्ट के फैसले का भी उनपर कोई असर नही हुआ। जबकि 29 फरवरी 2020 को 6 महीने की मियाद भी पूरी हो गयी थी, लेकिन हाई कोर्ट के 29 अगस्त के फैसले के क्रम न कोई नीति बनी और न ही अन्य निर्देशों का पालन हुआ । ऐसे में डी के जोशी ने जुलाई 2020 में उनके द्वारा पुनः हाई कोर्ट में सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है ।

कोर्ट ने सचिव आबकारी को अवमानना नोटिस जारी किए हैं।
ढाई सौ करोड़ से चार हजार करोड़ पंहुचा शराब से राजस्व
सड़क से कोर्ट तक की लड़ाई इतनी आसान भी नही है, जबकि 29 अगस्त 2019 के फैसले के बाद जब सरकार को इस संबंध में स्पष्ठ निर्देश दिए गए थे लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया ।

कौन हैं अधिवक्ता डी के जोशी

उत्तराखंड के सुदूरवर्ती जिला बागेश्वर के गरुड़ विकास खंड के ग्राम दर्शानी से ताल्लुक रखने वाले अधिवक्ता दया कृष्ण जोशी (डीके जोशी) जो उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल में वकालत के पेशे से जुड़े है और विगत 22 ( 15 अगस्त 1997) सालों से व्यसनमुक्त समाज के निर्माण में अथक प्रयास कर रहे हैं।
अधिवक्ता डीके जोशी द्वारा नशे के खिलाफ न केवल जनजागरण , सेमिनार, सड़क पर आंदोलन बल्कि स्वयं के प्रयासों से जनहित याचिका के माध्यम से भी लंबा संघर्ष किया है।
लगातार संघर्ष व आंदोलन के बावजूद भी जब सरकार की नीतियों से कोई उम्मीद नहीं नज़र आयी तो आखिरकार डीके जोशी ने 2017 में उत्तराखंड हाई कोर्ट नैनीताल में शराब के कारोबार से बरबाद हो रहे लोगों घरबार को रोके जाने व इस जहरीले कारोबार पर रोक लगाए जाने के उद्देश्य से खुद के नाम से एक जनहित याचिका (डी के जोशी बनाम राज्य व अन्य, संख्या 83/2017) दाखिल की ।

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