नयी दिल्ली। दुनिया के सेंट्रल बैंक 2010 के बाद से पहली बार सोने के बिकवाल (Seller) रहे। असल में कोरोनोवायरस महामारी से लगे झटके को कम करने के लिए कुछ उत्पादक राष्ट्रों ने सोने की रिकॉर्ड कीमतों पर बिकवाली करके फायदा उठा लिया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्लूजीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के केंद्रीय बैंको ने 2020 की जुलाई-सितंबर तिमाही 12.1 टन सोना बेचा, जबकि एक साल पहले की इसी तिमाही 141.9 टन सोने की खरीदारी की गई थी। उज्बेकिस्तान और तुर्की ने बड़े लेवल सोने की बिकवाली की, जिससे तिमाही में कुल सोने की बिक्री के आंकड़े इतने हाई रहे। वहीं रूस पिछले 13 सालों में किसी तिमाही में सोने का बिकवाल रहा। वरना क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश हर तिमाही में अपने सोने के भंडार में इजाफा करता है।
ईटीएफ में बढ़ा है निवेश
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार सिटीग्रुप ने पिछले महीने अनुमान लगाया था की इस साल धीमी खरीदारी रहने के बाद केंद्रीय बैंकों की तरफ से मांग 2021 में बढ़ेगी। इससे पहले 2018 और 2019 दोनों में रिकॉर्ड खरीदारी हुई है। डब्लूजीसी ने कहा कि तुर्की और उज्बेकिस्तान के केंद्रीय बैंकों ने क्रमश: 22.3 टन और 34.9 टन सोना बेचा। हाल के सप्ताहों में 1,900 डॉलर के आसपास कारोबार करने से पहले अगस्त में सोना 2,075 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड पर पहुंच गया था।
कितनी है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की मांग
जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल मिलाकर सोने की मांग साल-दर-साल 19 फीसदी गिरकर 2009 के बाद से सबसे कम रही है। भारतीय गहनों की मांग आधी हो गई, जबकि चीनी गहनों की खपत भी कम हो गई। हालांकि निवेशकों की तरफ से सोने की मांग में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सोने की छड़ों और सिक्कों से वृद्धि ठीक-ठाक हुई। एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में निवेश पिछली तिमाही के मुकाबले घटा है।
गोल्ड की सप्लाई भी घटी
साउथ अफ्रीका जैसे उत्पादक देशों में कोरोना की वजह से लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के बावजूद सोने की कुल आपूर्ति में साल-दर-साल 3 फीसदी की गिरावट आई। इसके अलावा ग्राहक भी सोने की ऊंची कीमतों के मद्देनजर सोना बेच रहे हैं। source: goodreturns.in
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