हरियाणा (Haryana) की कम से कम 130 खाप पंचायतों ने दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) पर किसानों (Farmers) के मौजूदा प्रदर्शन में मंगलवार से शामिल होने का सोमवार को ऐलान किया है. खाप के प्रवक्ता जगबीर मलिक ने मीडिया से कहा, “खाप के सभी लोग पहले किसान हैं और फिर नेता. वे पहले दिन से ही किसानों के प्रदर्शन के साथ जुड़े हैं. जैसा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य के किसान प्रदर्शन के साथ नहीं जुड़े हैं, यह एक गलत बयान है. हरियाणा के किसान इस प्रदर्शन से जुड़े हुए हैं.”
मलिक ने कहा कि हरियाणा की सभी खापों ने सर्वसम्मति से प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देने का निर्णय लिया है. मालूम हो कि केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन चल रहा है.
‘किसानों की बात क्यों नहीं सुन रही सरकार?’
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह आखिर इस मुद्दे पर क्यों अड़ी हुई है और किसानों की बात क्यों नहीं सुन रही है. मुख्यमंत्री ने अपने ऐतिहासिक शहर के दौरे के दौरान अनौपचारिक रूप से मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “यह सरकार का काम है कि वह अपने लोगों की बात सुने. अगर किसान इतने सारे राज्यों से आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, तो वे वास्तव में परेशान होंगे.”
उन्होंने कथित काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के साथ मजबूती से खड़े रहने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई. प्रधानमंत्री के इस रुख पर कि नए कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी शुरू से यही बात दोहराते आए हैं और यही वजह थी कि पंजाब अपने विधेयक लेकर आया.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन
केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन भी जारी है. हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बीच गुरु नानक जयंती के मौके पर आस्था का रंग भी देखने को मिला. वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती पर किसानों ने भी उन्हें याद किया.
गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानून का विरोध प्रदर्शन करने के लिए किसान एकत्रित हुए हैं. भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आए किसानों ने रविवार शाम गुरु नानक जयंती की पूर्व संध्या पर बॉर्डर पर किसानों ने उन्हे याद किया.
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