नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को टैक्स से जुड़े एक नए प्लेटफॉर्म की शुरुआत करने जा रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है कि इससे टैक्स के मामले में पारदर्शिता बढ़ेगी और ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा | प्रधानमंत्री कल सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन : ऑनरिंग द ऑनेस्ट’ प्लेटफॉर्म की शुरुआत करेंगे |
इस प्लेटफॉर्म के द्वारा 15 अगस्त से पहले ही देश में ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था शुरू हो जाएगी. गुरुवार को प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा देश में इनकम टैक्स के सभी प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर और चीफ कमिश्नर जुड़ेंगे |
इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद रहेंगे, गौरतलब है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने हाल के वर्षों में कई टैक्स सुधार किये हैं. कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 30 फीसदी से 22 फीसदी तक लाया गया है और नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए तो यह 15 फीसदी तक कर दिया गया है |
पिछले 3-4 हफ्तों में प्रधानमंत्री कार्यालय की देश के टैक्स अधिकारियों से कई दौर की बैठकों में फेसलेस अससेमेंट और पारदर्शिता आदि को लेकर चर्चा हुई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा था कि फेसलेस असेसमेंट और अन्य कदमों से करदाताओं की परेशानी कम होगी और टैक्स व्यवस्था सरल होगी |
गौरतलब है कि देश की कई संस्थाएं इनकम टैक्स व्यवस्था को खत्म करने या ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करने की मांग करती रही हैं. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी तो इनकम टैक्स को खत्म कर देने की ही बात करते रहे हैं. तमाम जानकार यह भी कहते हैं कि भारत में इनकम टैक्स देने वाले को कोई प्रोत्साहन नहीं है बल्कि उसे प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है |
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स यूपी चैप्टर के को-चेयरमैन और ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के अध्यक्ष मनीष खेमका कहते हैं, ‘इनकम टैक्स की व्यवस्था भेदभाव वाली है. विकसित देशों के तरीके से करदाता होने का यहां कोई लाभ नहीं मिल रहा. आस्ट्रेलिया, स्वीडन, अमेरिका जैसे ज्यादातर विकसित देशों में सभी नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है और करदाता को कुछ खास रियायतें मिलती हैं, लेकिन भारत में तो करदाता को ही सामाजिक सुरक्षा से वंचित कर दिया जाता है |
उन्होंने कहा कि ‘इसका उदाहरण आयुष्मान भारत योजना है. कितनी विडंबना है कि करदाता के पैसे से ही ये योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन करदाता को इसका लाभ नहीं मिलता, जैसे रेलवे के एसी क्लास के रिजर्वेशन में यदि टैक्सपेयर्स को वरीयता मिले, या इसी तरह की कुछ अन्य रियायतें दी जाएं तो टैक्स देने को लोग प्रोत्साहित होंगे |’
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