नई दिल्ली, देश के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष/सेमेस्टर परीक्षा के लिए जारी UGC Guidelines 2020 के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी गई। कोर्ट ने इस केस में अंतरिम आदेश पास करने से इन्कार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की तीन सदस्यीय बेंच इस दौरान उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो कि छह जुलाई को आई यूजीसी की संशोधित गाइडलाइंस के खिलाफ टॉप कोर्ट में दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में देश भर में विवि की अंतिम साल की परीक्षाएं 30 सितंबर के पहले कराए जाने की बात का विरोध किया गया है।
मामले में मुख्य याचिका (लीड पीटिशन) देश भर के विवि में पढ़ने वाले 31 छात्रों द्वारा दाखिल की गई थी। इन स्टूडेंट्स ने यूजीसी गाइडलाइंस को चुनौती देते हुए कहा है कि ऐसा कर (गाइडलाइंस जारी कर) COVID-19 संकट के दौरान छात्रों को परीक्षा में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ये स्टूडेंट्स की सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
31 छात्रों के अलावा इस मामले में अन्य याचिकाकर्ताओं में Yuvasena प्रमुख आदित्य ठाकरे और अंतिम वर्ष के लॉ स्टूडेंट्स यश दुबे के साथ कृष्णा वाघमरे हैं। कोरोना संकट के चलते पनपे माहौल के मद्देनजर ये सभी फिलहाल परीक्षा न कराने के पक्ष में हैं।
दुबे की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मौजूदा समय में देश में कोरोना के लगभग 16 लाख केस हैं और यूजीसी ने इस बात को गौर किए बगैर ही गाइडलाइंस जारी कर दीं। विवि के पास परीक्षाएं ऑनलाइन कराने के लिए बुनियादी आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है, जबकि कोरोना के कारण ऑफलाइन एग्जाम्स नहीं कराए जा सकते।
बकौल सिंघवी, “ये अब दिक्कत पैदा कर रहा है…नई गाइडलाइंस कोरोना संकट के दौरान छात्रों के लिए और मुश्किलें पैदा कर रही हैं। वैकल्पि परीक्षाएं भी दिक्कत देने वाली होंगे। अगर कोई परीक्षा में शामिल न हो पाया और बाद में उसे मौका दिया जाएगा, तब उस स्थिति में अव्यवस्था पैदा होगी!”
सिंघवी ने यह भी तर्क दिया- कई विवि कोरोना सेंटर्स में तब्दील किए जा चुके हैं। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में ऐसा हुआ है। बार काउंसिल भी परीक्षाएं रद्द कर चुका है। छह जुलाई वाली गाइडलाइंस MHA के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन करती हैं।
बेंच ने आगे महाराष्ट्र में Disaster Management Act के तहत बनी Maharashtra State Executive Committee से भी इस मामले में जवाब मांगा है। साथ ही सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह परीक्षाएं कराने को लेकर मंत्रालय का रुख साफ करें। कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करने के दौरान कहा कि सात अगस्त तक अफेडेविड भी फाइल हो जाने चाहिए।
क्या है पूरा मामला..?
दरअसल, यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे फाइनल ईयर या लास्ट सेमेस्टर के एग्जाम्स सिंतबर तक आयोजित करा लें। अपनी गाइडलाइंस को लेकर UGC ने गुरुवार को सफाई दी थी कि सितंबर के पहले परीक्षा कराकर देश भर के छात्रों का अकादमिक भविष्य बचाना चाहती है, जबकि छात्र लगातार परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। स्टूडेंट्स का तर्क है कि एक तरफ असम और बिहार सरीखे सूबों में बाढ़ के चलते वे परीक्षाओं में नहीं शामिल हो पाएंगे। ऊपर से कोरोना संकट की वजह से भी दिकक्तें आएंगी। महाराष्ट्र और दिल्ली की सरकारों ने तो अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कैंसल करने का ऐलान भी कर दिया था, पर UGC उनके इस कदम पर बोला था कि राज्य/UT इस तरह का फैसला नहीं ले सकते।
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