नई दिल्ली, । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में रोहतक (हरियाणा) के केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विभाग में छापा मारा। उसके बाद जीएसटी के एक अधीक्षक को उसके घर से छह लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। जबकि इसी मामले में जीसीटी का एक अधीक्षक और दो इंस्पेक्टर फरार हो गए। सीबीआई ने मौके से कई गोपनीय दस्तावेज, आभूषण और करीब 64 लाख की नकदी बरामद की है।
सीबीआई के प्रवक्ता आर.के. गौड़ ने बताया कि रिश्वत मामले के आरोपितों में जीएसटी के दो अधीक्षक गुरविंदर सिंह सोहल, कुलदीप हुड्डा और दो इंस्पेक्टर रोहित मलिक व प्रदीप शामिल हैं। ये चारों जीएसटी रोहतक (हरियाणा) के आयुक्त के कार्यालय में कार्यरत हैं। सोमवार को सीबीआई चंडीगढ़ की टीम ने जीएसटी अधीक्षक कुलदीप हुड्डा के सेक्टर-3 स्थित निवास पर छापा मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया। हुड्डा पर रिश्वत के छह लाख रुपये की शेष रकम लेने का आरोप है। बाकी के तीनों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई चंडीगढ़ ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार करीब 27 घंटे चली छापेमारी में जेवरात के अलावा 64 लाख की नकदी भी बरामद हुई है। साथ ही इस मामले में एक अन्य बड़े अधिकारी का नाम भी सामने आ रहा है। दरअसल, राई (सोनीपत) स्थित रिसर्च मेडिसिन प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी है। कंपनी के प्रबंधक निदेशक मनोज कालरा और निदेशक चंद्रमोहन हैं। इनकी शिकायत पर सीबीआई ने 13 अगस्त को रिश्वतखोरी का यह मामला दर्ज किया था।
शिकायती तहरीर के अनुसार 6 अगस्त को जीएसटी अधीक्षक गुरविंदर सिंह सोहल और कुलदीप हुड्डा और इंस्पेक्टर रोहित मलिक व प्रदीप रिसर्च मेडिसिन प्रा. लि. कंपनी में जांच करने गए थे। पड़ताल करते हुए अधिकारियों ने कहा कि उनकी कंपनी ने 18 प्रतिशत के बजाय 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी जमा कराया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी निदेशकों ने सफाई देने की कोशिश की तो जीएसटी अधिकारियों ने यह कहकर धौंस दिखानी शुरू कर दी कि उनकी फैक्ट्रियों में रॉ मेटेरियल ज्यादा है, लेकिन स्टॉक कम दिखाया गया है। इस पर भारी जुर्माना लगेगा। कंपनी निदेशकों ने अनुरोध किया तो जीएसटी अधिकारियों ने 12 लाख की रिश्वत मांगी। बाद में 9 लाख रुपये में बात तय हो गई। तीन लाख रुपये उसी समय अग्रिम के तौर पर ले लिया। शेष 6 लाख रुपये 11 अगस्त को देने की बात तय हुई।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार 11 अगस्त को वे दोनों दिल्ली बाईपास के निकट जीएसटी आयुक्त कार्यालय गए। लेकिन उस दिन रुपये नहीं दिए, बल्कि 14 अगस्त को सोनीपत में रुपये देने की बात कही। उस रोज आरोपित जीएसटी अधीक्षक कुलबीर सिंह एक अन्य व्यक्ति के साथ निश्चित स्थान पर पहुंचा। इस बीच सीबीआई मनोज कालरा के साथ जाल बिछा चुकी थी। मनोज ने रुपये दे दिए लेकिन कुलबीर को शक हो गया, वह नोट वाला बैग फेंककर भाग गया। सीबीआई की टीम योजना के अनुसार वहां मौजूद थी। वह तुरंत सेक्टर-3 स्थित जीएसटी के अधीक्षक कुलदीप हुड्डा के आवास पर पहुंची। कुलबीर तो नहीं मिला लेकिन सारी रात जांच-पड़ताल चलती रही।
15 अगस्त को भी सीबीआई की टीम जीएसटी रोहतक आयुक्त कार्यालय में तमाम दस्तावेज खंगालती रही। लेकिन आयुक्त विजय मोहन जैन का कहना है कि अवकाश होने के कारण वह कार्यालय में नहीं थे, इसलिए उन्हें इस मामले में जानकारी नहीं है। उधर सीबीआई 16 अगस्त को भी आरोपियों को तलाशती रही। आखिरकार आज सोमवार 17 अगस्त को एक अधीक्षक आरोपित कुलदीप हुड्डा को गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही अन्य आरोपियों के रोहतक और दिल्ली स्थित उनके ठिकानों पर छोपे मारे गए हैं। सोमवार को ही सीबीआई ने कुलदीप हुड्डा को पंचकूला में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर उसे चार दिन की रिमांड पर लिया है।
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