Sunday, November 24, 2024
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भटवाड़ीसैण स्कार्पियो दुर्घटना- आपदा प्रबंधन तंत्र व आपदा के प्रति संवेदनशीलता पर कई प्रश्न खडा कर गया

(देवेन्द्र चमोली)
बात जनपद रुद्रप्रयाग की है आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलो में शुमार मानसून समय प्राकृतिक आपदा की अत्यधिक संभावनाएं । लेकिन तंत्र कितना सक्रिय है इसका अंदेशा लगाया जा सकता है जब जिला मुख्यालय नगर क्षेत्र के भीतर एक वाहन गहरी खाई में गिर कर मंदाकिनी नदी में समा गया दुर्घटना में चार स्थानीय निवासियों में दो महिलाओं की दर्द नाक मौत हो जाती है व एक 40 वर्षीय युवक वाहन सहित अभी तक लापता है। भगवान का शुक्र कि एक युवक गाड़ी से छिटक गया जिसका अभी उपचार चल रहा वह अभी जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। ग्रामीण अपने लापता परिजन की खोज किये जाने को जिलाधिकारी सहित जनपद के आला अधिकारियों के चक्कर काट रहे है।
नियति को जो मंजूर था वो हो गया पर पर आपदा प्रबंध तंत्र के साथ साथ शासन व प्रशासन की कार्य प्रणाली व संवेदनशीलता पर एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर गया।
आखिर आपदा की अत्यधिक संभावनाओं वाले इस मानसून समय में जिले का आपदा प्रबंधन तंत्र इतना लाचार व सुस्त क्यों है? आपदा प्रबंधन व न्यूनीकरण के तमाम दावे यहां हवाई साबित हुये । भले ही यह मामला एक वाहन दुर्घटना का है लेकिन मानसून समय में आपदा प्रबंधन तंत्र कितना सक्रिय व संवेदनशील है उसकी पोल खोलने के लिये ये दुर्घटना काफी है।
जिला मुख्यालय में नगर छैत्र के अन्तर्गत एक वाहन दुर्घटना होती है स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन के आला अधिकारियों को सूचना दी जाती है तब जाकर लगभग 45 मिनट के बाद कोतवाली पुलिस, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचती है कुछ देर बाद पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंते है लेकिन जिला मुख्यालय मे घटित इस दुर्घटना में प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जिम्मेदार व संवेदनशील नहीँ दिखा।
जिला प्रशासन के किसी भी आला अधिकारी के मौके पर पहुंचने की जहमत नहीं उठयी। जिला प्रशासन के इस रवैये से झुब्ध स्थानीय जनता व जनप्रतिनिधियों ने घटनास्थल पर ही धरना देकर विरोध किया। लेकिन ये सारा घटनाक्रम शासन व प्रशासन पर कई सवाल खड़े गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि राहत व बचाव कार्य समय से शुरु होता तो खाई में घायल 27 वर्षीय अल्का असवाल की जान बच सकती थी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मौके पर एंबुलेंस तो आयी लेकिन विना आक्सीजन सिलेंडर व अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के साथ । इस कमी के चलते दो घंटे बाद अस्पताल भेजी गयी अपनी अंतिम सांसे गिन रही अल्का असवाल ने भी दम तोड़ दिया। सूचना मिलने के बाद भी समय पर जिम्मेदार लोगों व बचाव दल के न पहुंचना भी प्रशासन की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
यहां उन युंवाओ का जिक्र करना भी अत्यंत आवश्यक है जो घटना स्थल के इर्द गिर्द थे व उन्होंने अपनी नैतिक व सामाजिक जिम्मेदारी को समझते हुये साहस का परिचय देते हुये विना साजो सामान के गहरी खाई में उतर कर राहत व बचाव कार्यों में लग गये। जहां एक ओर गौरव व सौरव दुर्घटना में घायल को अस्पताल पहुंचाने में मदद की वहीँ स्थानीय निवासी सांदर नैल के महाबीर जगवाण सहित केदारनाथ यात्रा से लौट रहे चौरास श्री नगर के कुछ साहसी युवा राहत व बचाव कार्य में लग गये जब तक राहत व बचाव टीम वहाँ पहुंचती इन साहसी युवाओ की टीम नदी किनारे घायल 27 वर्षीय अल्का असवाल को कुछ ऊपर तक लाने में सफल रहे अपनी अंतिम सांसे गिन रही अल्का को अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन वो बच नही पायी ।
यहां पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग नवनीत सिंह भुल्लर का भी जिक्र करना जरुरी है जो कि स्वयं खाई मे उतरकर राहत व बचाव कार्य में जुटे रहे व जवानों का हौंसला बड़ाते रहे। लेकिन जिला मुख्यालय के अन्तर्गत हुई इस दर्द नाक घटना ने ये साबित कर दिया कि न तो आपदाओं के प्रति जिला प्रशासन संवेदनशील है नाहीं आपदा प्रबंधन तंत्र सक्रिय है।

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