Saturday, November 16, 2024
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ओषधीय पादपों का सार्थक उपयोग के साथ व्यवसाय से आत्मनिर्भरता, हैप्रेक HNB गढ़वाल विवि जन जागरूकता के लिये निरन्तर प्रयासरत

टिहरी, कीर्तिनगर, औषधीय पादपों के उपयोग, ब्यवसाय से आत्मनिर्भरता एवं संरक्षण हेतु जन जागरूकता के लिये हैप्रेक, हे0न0ब0ग0वि0वि0 निरन्तर प्रयासरत है। इसी क्रम में आज जडी़ बूटी दिवस के अवसर पर ग्राम बंन्दासा, किर्तीनगर, टि0ग0 में ग्राम प्रधान श्रीमती पूजा देवी तथा महिला मंगल दल अध्यक्षा श्रीमती माहेश्वरी देवी की अध्यकक्षता तथा प्रगतिशील कास्तकार श्री रघुबीर सिंह रावत तथा सामाज सेवक श्री राजेन्द्र सिहं राणा जी के सहयोग से जागरूकता एवं पौध रोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में ग्रामवासियों को जडी़ बूटीयों की खेती, लाभ व क्षेत्र में हो सकने वाले पौधों की तकनीकी जानकारी दी गयी। गांव में वर्तमान में रह रहे 60 परिवारों से आये सभी लोगों में कुछ अलग करने की ललक देखने से हमारा भी उत्साह दो गुना हो गया।

कच्ची व बरसात में खतरनाक बनी हुयी सड़क पार कर गांव पहुँचने के बाद लगभग दो घन्टे तक लोगों से बिचार विमर्श हुआ और निष्कर्ष निकला कि स्थानीय फसलों के साथ साथ जडी़ बूटीयों की खेती को भी बढा़वा दिया जायेगा।

वर्तमान में गांव के 16 परिवार श्री रघुबीर सिंह रावत जी के नेतृत्व में बडी़ मात्रा में डेंन्डीलियोंन की खेती कर रहे हैं, जो एक बहुत बडा़ प्रयास है। साथ ही सतावर, रोजमेरी, तुलसी, बडी़ इलायची, गिलोय, एलोबेरा, तेजपात, रीठा, स्ट्राबेरी, लोंग, तेडू़, नासपाती, फुलम, अनार, आंवला, इत्यादि की खेती करने के इच्छुक भी हैं।

हैप्रेक द्वारा लोगों की आर्थिकी में सुधार के लिये जमीनी स्तर पर जो कार्य किये जा रहे हैं सरकारों को उनका मुल्यांकन कर प्रचार प्रसार करना चाहिये, जिससे और लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।

साथ ही सरकारों को इस प्रकार के गांव जो कि ससाधनों की उपलब्धता तथा तकनीकी मार्ग दर्शन के लिये लालायित हैं,को गोद ले करके समय पर सभी चीजें उपलब्ध कराने का संकल्प ले लिया जाय तो, सच में कुछ का कुछ हो जाय, ऐसा प्रतीत होता है।

इस अवसर पर हैप्रेक द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित 50 से अधिक लोगों को तेजपात, आंवला, जामुन, हेणा, इत्यादि की निशुल्क पौध वितरित की गयी।

साथ ही इस अवसर पर संस्थान परिसर, श्रीनगर में भी संस्थान के निदेशक प्रो0 ए0आर0 नौटियाल, प्रो0 एम0सी0नौटियाल, प्रो0 पी0प्रसाद तथा सहयोगी कर्मचारियों द्वारा औषधीय पौधों का रोपण किया गया।

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