“उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम परियोजना ग्राम्या फेज 2 की सफल रही योजना”
(हरीश पाण्डे) दन्या अल्मोड़ा। अगर दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो कामयाबी स्वयं कदम चुमती है। यह उदाहरण हकीकत में तब्दील की है विकास खण्ड धौलादेवी के ग्राम पंचायत डसीली ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह डसीला ने। कोराना महामारी के चलते दर्जनों युवा बाहरी राज्यों से अपने घर लौटे युवाओं के सामने बेरोजगारी का संकट पहाड़ की तरह खड़ा था, किन्तु ग्रामीणों द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ग्राम प्रधान ने इन युवाओं का हौसला डगमगाने की जगह बुलन्द किया,तथा सभी युवाओं को स्वयं के रोजगार के लिए प्रेरित किया। किसी भी कार्य को धरातल में लाने के लिए धन की कमी आना भी लाजिमी है। लेकिन इन युवाओं के लिए धन की कमी को दूर करने के लिए संजीवनी साबित हुई विश्व बैंक की वित्त पोषित योजना, उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम परियोजना ग्राम्या फेज 2 परियोजना द्वारा युवाओं को कृषि, उधान सम्बन्धित जानकारी दी गई परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली सूअर, बन्दर व पानी की कमी इन युवाओं की राह में विडम्बना बनी। जिसे ग्राम प्रधान व उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम परियोजना ग्राम्या फेज 2 के अधिकारियों ने सर्वप्रथम पानी की समस्या को मुख्य समस्या मानते हुए सौर ऊर्जा के माध्यम से पम्पिग द्वारा पानी की कमी को दूर करने की योजना तैयार की जिसमें परियोजना एवं ग्रामीणों ने पानी को सौर ऊर्जा व पंपिंग द्वारा पानी को प्रर्याप्त मात्रा में गांव में पहुंचाने में बड़ी सफलता हासिल की जो पूरे विकास खण्ड धौलादेवी में सुर्खियों में है।पानी की किल्लत से निजात पाने के बाद युवाओं को स्वरोजगार करने के लिए मामुली अंशदान जमा कर कई पौली हाउस उपलब्ध कराए गए जिस पर युवा सब्जी उत्पादन का कार्य कर रहे हैं।तथा कुछ युवकों ने समुह बनाकर मछली पालन को प्राथमिकता दी, जिसके लिए ग्राम प्रधान के सहयोग से टैंक भी बनाए गए है। ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह डसीला ने बताया कि गांव के प्रवासियों को रोजगार देने के लिए कई विभागों से सम्पर्क किया गया है।जो बहुत जल्दी ही धरातल नजर आएंगे।
Posted by A Bit Far on Thursday, August 6, 2020
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