Monday, November 25, 2024
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वरिष्ठ नागरिक समाज का अभिन्न अंग: प्रो0 शास्त्री

हरिद्वार 22 अगस्त (कुल भूषण शर्मा) मानव अधिकार संरक्षण समिति हरिद्वार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि वैदिक जीवन के चार आश्रम एक व्यक्ति के कर्म और धर्म पर आधारित थे। एक भारतीय का औसत जीवन 100 वर्ष माना जाता था। इसके आधार पर वैदिक जीवन के चार आश्रम थे- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। प्रत्येक चरण या आश्रम का लक्ष्य उन आदर्शों को पूरा करना था जिन पर ये चरण विभाजित थे। आश्रम जीवन के चरणों का अर्थ है कि व्यक्ति अपनी आयु के आधार पर जीवन के सभी चार चरणों में आश्रय लेता है। ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्यार्थी अपना जीवन शिक्षा ग्रहण करने में व्यतीत करता हैं। ये सब चीज़े ब्रह्मचर्य में आती हैं। फिर उसके बाद गृहस्थाश्रम हैं| मनुष्य का काम घर चलाने के लिए पैसे कमाना और घर के सारे व्यक्तियों का ध्यान रखना होता था। गृहस्थाश्रम में अर्थ, मोक्ष, धर्म और काम ये चार प्रमुख ध्येय होते थे। जब घर की जिम्मेदारियां ख़त्म हो जाती है, तब मनुष्य का काम धीरे धीरे अपना मन सामाजिक कार्य करने में लगता हैं और इसे वानप्रस्थाश्रम कहते हैं इस तरह मनुष्य का जीवन चार भागों में बाँटा गया था। उन्होने वरिष्ठ नागरिकों को समाज का अभिन्न अंग बताते हुए युवा पीढ़ी को उनका सम्मान करने को प्रेरित किया।

मानव अधिकार संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर मधुसूदन आर्य ने कहा की हमारा भारत तो बुजुर्गों को भगवान के रूप में मानता है इतिहास में अनेकों ऐसे उदाहरण हैं कि माता पिता की आज्ञा से भगवान श्री राम जैसे अवतारी पुरुषों ने राजपाट त्याग कर जंगलों में जीवन बिताया मातृ पितृ भक्त सरवन कुमार ने अपने अंधे माता पिता को कानों में बिठाकर चार धाम की यात्रा की| उन्होने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2007 में सीनियर सिटिजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट का गठन किया था, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो रही है |

विशिष्ट अतिथि स्टेट हेड हेल्पज इंडिया देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक चेतन उपाध्याय ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए उत्तराखंड के हाईकोर्ट ने राज्य में वरिष्ठ नागरिकों के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। वरिष्ठ नागरिकों को अपनी शिकायतों के लिए अब न्यायालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। राज्य के बुजुर्गों की शिकायत हर जिले में तैनात मेंटेनेंस अधिकारी सुनेंगे और एक माह में उनकी शिकायतों का निस्तारण भी करेंगे। अगर शिकायत का निस्तारण नहीं हुआ तो डीएम स्तर के अपीलीय अधिकारी के पास वरिष्ठ नागरिक अपनी फरियाद रख सकेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के लिए तीन महीने में प्रचार प्रसार की व्यवस्था करें।

 

मानव अधिकार संरक्षण समिति की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष डॉक्टर सपना बंसल, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली ने संचालन करते हुये कहा कि यह सच्चाई है कि एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है, वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है यानि वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है, यही बात समाज के उस वर्ग के साथ भी लागू होती है, जिसे आज की तथाकथित युवा तथा उच्च शिक्षा प्राप्त पीढ़ी बूढ़ा कह कर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है। वह लोग भूल जाते हैं कि अनुभव का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं। अनुभव के सहारे ही दुनिया भर में बुजुर्ग लोगों ने अपनी अलग दुनिया बना रखी है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ० पंकज कौशिक ने कहा कि हमें समझना होगा कि अगर समाज के इस अनुभवी स्तंभ को यूं ही नजरअंदाज किया जाता रहा तो हम उस अनुभव से भी दूर हो जाएंगे, जो इन लोगों के पास है।

इस वेबिनार में चैतन्य उपाध्याय, कमला जोशी, अन्नपूर्णा, रेखा नेगी, विमल गर्ग, प्रो एल०पी० पुरोहित, डॉ० श्वेतांक आर्य,  हेमंत सिंह नेगी इत्यादि उपस्थित रहे |

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