नई दिल्ली, केन्द्र सरकार के कृषि कानून के विरोध में देशभर के किसान संगठन ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन को तेज करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने पर अड़े हैं। वे दिल्ली में सत्ता केंद्र के नजदीक पहुंच कर अपनी बात कहना चाहते हैं। दिल्ली पुलिस, किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की वरिष्ठ सदस्य और नर्मदा बचाओ आंदोलन की अध्यक्ष मेधा पाटकर ने एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि किसान आंदोलन को कमजोर बनाने के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ की साजिश रची जा रही है। इस हरकत के पीछे केंद्र सरकार का हाथ है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 3 दिसंबर को वार्ता के लिए जिन किसानों को बुलाया है, उनमें केवल पंजाब के किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस आंदोलन में किसानों और श्रमिकों के करीब पांच सौ छोटे-बड़े संगठन कूद पड़े हैं। खेत मजदूर और किसान, जैसे असंगठित क्षेत्रों के लोगों के इस आंदोलन में पहली बार ऐतिहासिक एकता देखने को मिली है। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च से जन आंदोलन को एक नई दिशा मिली है। सरकार डर गई है, इसलिए वह एआईकेएससीसी और दूसरे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को एक संयुक्त मंच पर वार्ता करने के लिए नहीं बुला रहे,
मेधा पाटकर ने शुक्रवार सुबह एक खास बातचीत में कहा, किसानों का हित, यह मुद्दा तो पूरे देश का है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पंजाब के किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने तीन दिसंबर का समय भी दे दिया। वे जानते हैं कि अब ये आंदोलन तीन कानूनों से बाहर जा चुका है। केंद्र सरकार ने जो 44 कानून खत्म किए हैं, उन पर बात होगी, क्योंकि इन कानूनों का सीधा संबंध खेत मजदूर और दूसरे श्रमिकों से है।
पाटकर ने सवालिया लहजे में कहा, केंद्रीय कृषि मंत्री, एआईकेएससीसी, संयुक्त किसान मोर्चा एवं दूसरे किसान संगठनों से बात क्यों नहीं करना चाहते। वे इन संगठनों के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने से क्यों डर रहे हैं। इसमें तो सीधे तौर पर अंग्रेजी शासन वाली नीति यानी ‘फूट डालो और राज करो’ की साजिश नजर आ रही है।
देखिये, केंद्र सरकार इस आंदोलन को जितना दबाने का प्रयास करेगी, यह उतना ही तेज होगा। कोरोना संक्रमण की वजह से देश में अभी ट्रांसपोर्ट के उतने साधन नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार सोच रही है कि इस आंदोलन में केवल पंजाब के किसान आ रहे हैं। बतौर मेधा पाटकर, इसमें किसान ही नहीं, बल्कि खेत मजदूर और श्रमिक वर्ग भी शामिल हो गया है। असंगठित क्षेत्र के मजदूर साथ आ गए हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता भी किसानों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मछुआरे, पशुपालक और वन क्षेत्र में लगे कामगार, ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। किसानों की परिभाषा अब व्यापक हो गई है। दिल्ली जाने वाले किसान अब तीन कानूनों को खत्म करने के साथ साथ असंगठित क्षेत्र की आर्थिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बात करेंगे। पाटकर ने कहा, किसानों से बात करने के लिए यदि केंद्र सरकार साफ मन से आगे आना चाहती है, तो उसे सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि बैठक में बुलाने होंगे।
दिल्ली जा रहे हरियाणा और पंजाब के किसानों पर लाठीचार्ज से शुक्रवार को हरिद्वार जिले के किसानों में उबाल आ गया। इसके विरोध में उन्होंने कहीं प्रदर्शन किए तो हाईवे जाम कर दिया। किसानों ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की, दिल्ली-देहरादून हाईवे दो घंटे जाम रहने पर पुलिस को रूट डायवर्ट करना पड़ा। इस दौरान किसानों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपे। दूसरी ओर, किसानों के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में कुछ संगठनों ने दिल्ली कूच करने का एलान किया है।
दिल्ली-देहरादून हाईवे पर लगाया जाम
दिल्ली में किसान आंदोलन के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पदाधिकारियों ने किसानों के साथ मिलकर मंगलौर गुड़ मंडी पर दिल्ली-देहरादून हाईवे करीब दो घंटे जाम रखा। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग उठाई। मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को किसानों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपकर समस्याओं को हल कराने की मांग की। इस दौरान किसानों ने जल्द दिल्ली कूच करने का भी एलान किया।
तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार दोपहर करीब सवा 12 बजे सैकड़ों किसानों ने गुड़ मंडी मंगलौर पहुंचकर दिल्ली-देहरादून हाईवे जाम कर दिया। किसानों का कहना था कि केंद्र सरकार ने हरियाणा एवं पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोककर अपनी ओछी मानसिकता का परिचय दिया है। हरिद्वार जनपद के किसान आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके की ओर दौड़ पड़े। करीब दो बजे मौके पर पहुंचीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामी बंसल को किसानों ने ज्ञापन सौंपा। इसमें किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर फसल खरीदनों वालों के खिलाफ कानून बनाए जाने और फसलों का दाम भी सांसद और विधायकों की तर्ज पर दोगुने किए जाने समेत अन्य मांगें उठाईं।
किसानों ने दिल्ली कूच के दौरान मृतक किसान को शहीद का दर्जा देने और परिजनों को एक करोड़ मुआवजा देने की भी मांग की। करीब सवा दो बजे किसानों ने हाईवे खोल दिया। इस दौरान जाम होने के कारण राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पुलिस ने वाहनों को नारसन से लखनौता चौराहे और पुरकाजी से वाया लक्सर की ओर डायवर्ट कर दिया था। यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। मौके पर जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री, ओमप्रकाश, सुक्रमपाल, चमनलाल, इकबाल, अरशद, बिल्लू, राममूर्ति, अश्वनी, बालेंद्र, अभिषेक, सन्नी सैनी, दीपक मौजूद रहे।
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कृषि कानून वापस लेने की मांग
उत्तराखंड किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने रुड़की में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार अपने रवैये में बदलाव नहीं करती है तो आंदोलन करेंगे।
शुक्रवार को किसानों ने शताब्दी द्वार पर केंद्र सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान जिलाध्यक्ष महकार सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाने का काम कर रही है। दिल्ली पर किसानों का भी उतना ही अधिकार है, जितना उद्योगपतियों का। दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठी चार्ज करना और उन्हें रोकना सरासर गलत है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेकर एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए ताकि व्यापारी एमएसपी से कम दाम पर फसलों की खरीद न कर सकें। उन्होंने कहा कि दिल्ली जा रहे किसानों से सरकार को वार्ता कर उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। इस दौरान सुरेंद्र लंबरदार, नरेश लोहान, सुक्रमपाल, आकिल हसन, वीरेंद्र सैनी, राजकुमार, मोनू प्रधान, गालिब, सुधीर, दुष्यंत, भारत, शेर सिंह, पप्पू भाटिया, विनोद कुमार, अनुज सैनी व सोमपाल मौजूद रहे।
भाकियू (तोमर) ने दी धरने की चेतावनी
दिल्ली जा रहे किसानों पर लाठीचार्ज की घटना का भाकियू (तोमर) ने विरोध किया है। पदाधिकारियों ने बैठक कर चेतावनी दी है कि हरियाणा और पंजाब के किसानों के समर्थन में जल्द एसडीएम कार्यालय पर धरना शुरू किया जाएगा।
शुक्रवार को मोहम्मदपुर गांव में आयोजित बैठक में यूनियन के जिलाध्यक्ष विकेश चौधरी ने कहा कि दिल्ली जा किसानों पर लाठीचार्ज कर सरकार ने किसान विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। सरकार किसानों को बर्बाद कर उद्योगपतियों को बढ़ावा देना चाहती है। इसी मंशा के चलते कृषि कानूनों को लागू किया गया है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही हरियाणा व पंजाब के किसानों के समर्थन में एसडीएम कार्यालय पर धरना दिया जाएगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस दौरान संजय, मोनू, केपी सिंह, प्रदीप, निर्दोष, पवन, नीटू, राजकुमार, चतर सिंह मौजूद रहे।
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