Wednesday, November 27, 2024
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LIC IPO: भारत के ‘सऊदी अरामको मोमेंट’ की तेज हुई तैयारी, 7 पॉइंट में समझें इसकी हर डिटेल

LIC IPO: सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) को उसके अनोखे नीले और पीले रंग के लोगों के साथ 1.4 अरब आबादी वाले भारत देश में हर जगह आसानी से पाया जा सकता है। इंश्योरेंस मार्केट के दो तिहाई हिस्से पर LIC का कब्जा है।

इसकी करीब 30 करोड़ पॉलिसीज, 13 लाख से अधिक एजेंट, 1 लाख से अधिक कर्मचारी, 2 हजार शाखाएं और 1,500 से अधिक सैटलाइट शाखाएं हैं। सरकार अब LIC में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी IPO के जरिए बेचने की तैयारी कर रही है और यह देश का अब तक का सबसे बड़ा IPO हो सकता है। वहीं ग्लोबल लेवल पर यह किसी बीमा कंपनी का अब तक का चौथा सबसे बड़ा IPO होगा। आइए इस IPO से जुड़े हर बिंदुओं को समझने की कोशिश करते हैं।

1. सरकार क्यों बेच रही है अपनी हिस्सेदारी?
सरकार ने सपंत्तियों की बिक्री के जरिए 10.4 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा है। LIC में हिस्सेदारी की बिक्री, इस एसेट सेल प्रोग्राम का एक अहम और बड़ा हिस्सा है। साथ ही देश के बजट घाटे को पूरा करने के लिए भी यह बिक्री अहम है। सरकार की योजना अगले वित्त वर्ष में उधारी को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ाने की है क्योंकि वह महामारी के बाद आए मंदी से बाहर निकलने का कोशिश कर रही है।

2. कब आएगा IPO?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने IPO के लिस्टिंग के लिए 31 मार्च की समय सीमा तय की है। इस IPO को सबसे पहले अप्रैल 2020 में लाया जाना था। हालांकि कोरोना वायरस से जुड़ी चुनौतियों के चलते इसमें देरी हुई।

3. LIC का वैल्यूएशन करना इतना कठिन क्यों है?

LIC की साइज और भारत में इसके स्पेशल स्टेटस की वैल्यू लगाना एक अनोखी चुनौती है। LIC के पास 530 अरब डॉलर की प्रॉपर्टी है, जो देश की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के कुल साइज से भी अधिक है। LIC का वैल्यूएशन तय करने के लिए मिलिमैन और अर्न्स्ट एंड यंग जैसी फर्मों को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने लाखों की संख्या में मौजूद पॉलिसीज और उनके प्रीमियम को तमाम मानकों पर समीक्षा किया। इसके अलावा उन्हें LIC की 2,000 से अधिक शाखाओं की फिक्स्ड प्रॉपर्टी को भी तौलना था। LIC अभी तक चूंकि साल में सिर्फ एक बार अपना बैलेंस शीट जारी करती है, ऐसे में उसका दूसरी समकक्ष कंपनियों से हर तिमाही के आधार पर तुलना मुश्किल है।
4. LIC की संभावित वैल्यू कितनी हो सकती है?

कई रिपोर्टों के मुताबिक, LIC ने 5 से 13 अरब डॉलर के बीच में रकम जुटाने की योजना बनाई है। सरकार ने हाल ही में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने विनिवेश लक्ष्य को घटाकर करीब आधा कर दिया है। इससे यह उम्मीद लगाई जा रही है, LIC पहले लगाए जा रहे अनुमानों से कम रकम जुटाएगी। सरकार फिलहाल 5 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। देश का अब तक का सबसे बड़ा IPO 2.5 अरब डॉलर का पेटीएम का रहा है, जो पिछले साल नवंबर में आया था। LIC इस रिकॉर्ड को तोड़ने जा रही है।

5. यह IPO क्यों मायने रखता है?

देश के इतिहास के इतने गहरे तौर से जुड़ी और इतनी बड़ी आबादी से सीधे रिश्ता रखने वाली किसी कंपनी में हिस्सेदारी की बिक्री रोजाना नहीं देखना को मिलता है। देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर LIC ने की बड़ी छाप है। इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1956 में 256 बीमा कंपनियों और प्रोविडेंट फंड सोसायटीज को मिलाकर बनाया था। पिछले दो दशक से देश में तमाम प्राइवेट बीमा कंपनियां भी आ चुकी हैं। हालांकि अभी भी करोड़ो भारतीय के लिए बीमा का मतलब LIC ही बना हुआ है।

6. क्या अन्य देशों में समानताएं हैं?

कुछ बैंकर इस बिक्री को भारत का ‘सऊदी अरामको’ पल बता रहे हैं। सऊदी अरामको, सऊदी सरकार के स्वामित्व वाली ऑयल सेक्टर की दिग्गज कंपनी है। साल 2019 में सऊदी अरामको ने अपना IPO लाया था, जो दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा आईपओ है। सऊदी सरकार की 90 फीसदी कमाई सऊदी अरामको कंपनी के जरिए ही आती है, ऐसे में इसकी लिस्ट सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का प्रतीक थी।

7. क्या निवेशक इसमें भरोसा जताएंगे?

कुछ निवेशकों ने इस बात पर संदेह जताया है कि क्या 65 साल पुरानी LIC, प्राइवेट बीमा कंपनियों का मुकाबला कर पाएगी। LIC देश की दूसरी बीमा कंपनियों के मुकाबले कई मामले में अलग है। इसकी स्थापना 1956 में संसद में एक कानून पास करके की गई थी। इसकी पॉलिसीज की एक सोवरेन गारंटी होती, जो इस दूसरी कंपनियों की तुलना में कम कैपिटल बेस पर कारोबार की इजाजत देता है। सरकार सालों से दूसरी कंपनियों को बचाने और बाजार को सपोर्ट करने के अंतिम उपाय के रूप में LIC का इस्तेमाल करती आई है। LIC ने कई मौकों पर बाजार और दूसरी कंपनियों में भारी पैसे निवेश कर उन्हें डूबने या गिरने से बचाया है। हाल में 2019 में IDBI बैंक के मामले में ऐसा ही देखने को मिला था। कुछ बैंकरों का कहना है कि ग्लोबल निवेशकों की यह चिंता है कि सरकार आगे भी LIC को लिस्टिंग के बाद भी इसी तरह संकट में घिरी दूसरी सरकारी कंपनियों को बचाने के लिए मजबूर कर सकती है।

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