“मन की बात की 85वीं कड़ी में पीएम मोदी ने पद्मश्री से सम्मानित की जाने वाली उत्तराखंड की बसंती देवी का भी किया जिक्र”
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कर रहे हैं. कार्यक्रम में पीएम मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया. पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज़ हो जो किसी भी देश को खोखला कर सकता है | बाल पुरस्कारों पर पीएम मोदी ने कहा कि कोशिश करने से सभी सपने साकार हो जाते हैं. इस बार ये कार्यक्रम महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर 11 बजे की जगह 11.30 बजे शुरू हुआ. प्रधानमंत्री का रेडियो संबोधन हर महीने के आखिरी रविवार को होता है और आज का कार्यक्रम साल 2022 का पहला कार्यक्रम है |
‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा, ‘‘देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला करता है, लेकिन उससे मुक्ति के लिए इंतजार क्यों करें | यह काम हम सभी देशवासियों को आज की युवा पीढ़ी को मिलकर करना है जल्द से जल्द करना है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें | जहां कर्तव्य निभाने का एहसास होता है, कर्तव्य सर्वोपरि होता है वहां भ्रष्टाचार भी नहीं रह सकता |’’
ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ”आज हमारे पूज्य बापू की पुण्यतिथि है. 30 जनवरी का ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है. अभी कुछ दिन पहले हमने गणतंत्र दिवस भी मनाया, दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है.” उन्होंने कहा, ”देश में अभी पद्म सम्मान की भी घोषणा हुई है. पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ये हमारे देश के unsung heroes हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं |
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘’आजादी के अमृत महोत्सव में देश इन प्रयासों के जरिए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुन: प्रतिष्ठित कर रहा है. हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप ‘अमर जवान ज्योति’ और पास में ही ‘National War Memorial’ पर प्रज्ज्वलित ज्योति को एक किया गया.’’ पीएम मोदी ने 19 जनवरी को नागरिकों को ‘मन की बात’ के लिए अपने विचार और सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया था.
मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने मन की बात पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी- मोदी
पीएम मोदी ने बताया कि अमृत महोत्सव पर आप सब साथी मुझे ढेरों पत्र और संदेश भेजते हैं, कई सुझाव भी देते हैं. इसी श्रृंखला में कुछ ऐसा हुआ है जो मेरे लिए अविस्मरणीय है. मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने मन की बात पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी है. भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है. मुझे भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी 75 पोस्टकार्ड मिले हैं |
पीएम मोदी ने कहा, ”प्रकृति से प्रेम और हर जीवन के लिए करुणा हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी. हमारे इन्हीं संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी जब मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया. इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे.” वहीं पीएम मोदी ने President’s Bodyguards के चार्जर घोड़े विराट का जिक्र करते हुए कहा, ”हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं. ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला. इस परेड में चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया |
बसंती देवी ने अपना पूरा जीवन संघर्षो के बीच जिया : पीएम मोदी
मन की बात की 85वीं कड़ी में रविवार को पीएम मोदी ने पद्मश्री से सम्मानित की जाने वाली उत्तराखंड की बसंती देवी का जिक्र किया। वह पिथौरागढ़ के बस्तड़ी की रहने वालीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के अनसंग हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं। जैसे कि उत्तराखंड की बसंती देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काफी काम किया
उन्होंने कहा कि बसंती देवी ने अपना पूरा जीवन संघर्षों के बीच जिया है। कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया था और वह एक आश्रम में रहने लगीं। यहां रहकर उन्होंने नदी को बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण के लिए असाधारण योगदान दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काफी काम किया है।
60 वर्षीय बसंती देवी उत्तराखंड की प्रसिद्ध समाज सेविका हैं। उन्होंने राज्य में महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, पेड़ों व नदी को बचाने के लिए अपना योगदान दिया है। 12 साल की उम्र में ही बसंती देवी का विवाह हो गया था और दो साल बाद ही उनके पति का निधन हो गया। जिसके बाद बसंती देवी कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम में रहने लगी। उन्होंने कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से जंगल को बचाने की मुहिम शुरू की।
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