देहरादून, राज्य में कोरोना संक्रमण धीरे धीरे कम हो रहा है, लेकिन अभी कोरोना कर्फ्यू राज्य जारी है, इस बीच सरकार ने इसी हफ्ते शिक्षण संस्थान खोल दिये | राज्य सरकार प्रदेश के स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा और अनुशासन के दावे समय समय करती आई है इस हेतु कई बार नियमावलि भी बनाई गयी लेकिन शिक्षकों का रवैया कुछ और ही कहानी बयां करता है, राज्य के स्कूलों में इन दिनों जब शिक्षा विभाग के अधिकारी अचानक चेकिंग के लिए पहुंच रहे हैं तो खामियों की भरमार मिल रही हैं.
देहरादून में किसी स्कूल में छात्रों की संख्या व टीचरों की उपस्थिति को लेकर तो किसी में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर नियमों की अवहेलना पाई गई तो कहीं शासन के निर्देशों की अवमानना, जिस पर सहसपुर, सेलाकुई के सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस थमाया गया है | इन प्राचार्यों से तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है | मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल कुमार सती जब ज़िले के विभिन्न सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे तो राजकीय इंटर कॉलेज के प्राचार्य ही स्कूल से नदारद मिले, जनपद देहरादून के 3 सरकारी स्कूलों में अव्यवस्थाएं भी मिलीं, तो कारण बताओ नोटिस दिया गया | जिन सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस दिया गया, उनमें सहसपुर और सेलाकुई के स्कूल हैं. प्राचार्यों दुर्गेश नंदिनी बहुगुणा, उषा चौधरी और संजय जैन से 3 दिन में जवाब मांगा गया है |
जिस समय मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ. सती इन स्कूलों में औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे, उस दौरान एक तरफ इन स्कूलों के प्राचार्य ही गायब थे, तो दूसरी तरफ न ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था थी और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था. इन तमाम स्थितियों पर नाराज़गी जताते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्यों को फटकार भी लगाई |
जनपद में प्राइवेट स्कूलों की भी शिकायतें मिल रही थीं इसलिए देहरादून के ग्रेस अकेडमी के प्रचार्य को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया, दरअसल स्कूल प्रबंधन की ओर से एक छात्र को इसलिए ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया गया क्योंकि छात्र के अभिभावक फीस देने में असमर्थ थे, जबकि शिक्षा निदेशालय ने पहले ही नोटिफिकेशन जारी किया था कि किसी छात्र को फीस न दे पाने के कारण ऑनलाइन क्लास या स्कूल से निकाला नहीं जा सकता. इस मामले में स्कूल के प्राचार्य को एक हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है |
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