पिथौरागढ़, राज्य आन्दोलनकारी निर्मल पंड़ित कि 23वीं पुण्यतिथि पर शहीद स्मारक स्थित मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्वांजलि दी गई।
कोविड नियमों का पालन करते हुये 4 लोगों ने ही कार्यक्रम में भागीदारी की। 27 मार्च 1998 को शराब नीलामी के विरोध में पंड़ित के कलेक्ट्रेट परिसर में आत्मदाह कर लिया था। आत्मदाह के दौरान पंड़ित का शरीर पूरी तरह झुलस गया था बेहतर इलाज के लिये पंडित को के.जी.एम.सी. लखनऊ व बाद में सफदरजंग अस्पताल दिल्ली ले जाया गया। लेकिन हमेशा जीवटता का परिचय देने वाले पंड़ित 16 मई 1998 को जिन्दगी की जंग हार गये।
तीन बार छात्र संघ महासचिव, एक बार एल.एस.एम. स्नात्तकोतर महाविद्यालय पिथौरागढ के छात्र संघ अध्यक्ष रहे पंड़ित छात्रों के बीच लोकप्रिय थे | गंगोलीहाट की चिटगल सीट से पंड़ित जिला पंचायत सदस्य भी रहे। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान पंड़ित 57 दिनाें तक फतेहगढ़ जेल में भी रहे। 1996 में पुलिस भर्ती निरस्त कराने में पंडित कि भूमिका अहम रही। पंडित की स्मृति में लंदन फोर्ट परिसर में पौधरोपण भी किया गया। कार्यक्रम के संयोजक जुगल किशोर पाण्डे ने कहा कि पिथौरागढ़ में जब भी जनआंदोलनों की बात होगी, आन्दोलन के अगुवा के रूप में पंड़ित को याद किया जायेगा। मार्ल्यापण करने वालों में के.एम.वी.एन के प्रबन्धक दिनेश गुरूरानी, गोपालदत्त सती, भगवान वल्लभ पंत आदि थे।
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