हरिद्वार 30 नवम्बर (कुल भूषण शर्मा) उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुनानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व वर्ष के समापन कार्यक्रम के अवसर पर ई संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘ सनातन धर्म के उत्कर्ष में गुरुनानकदेव महाराज का योगदान था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रह्मचारी वागीश महाराज ने कहा कि आज हमें आस्था के महान पर्व गुरुनानकदेव की जयंती मनाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। गुरुनानक देव ने समूची मानव सभ्यता को साझीवालता का संदेश दिया था,गुरूपरम्परा को अक्षुण्ण बनाने के लिए उन्होंने समाज सुधार के कार्य किये। उन्होंने कहा कि भारत की धरती में समय समय पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है गुरुनानकदेव भी उन महापुरुषों में से एक थे जिन्होंने समाज सुधार के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया। मुख्य वक्ता हरकिशन साहिब खालसा कॉलेज पंजोखरा साहिब अम्बाला हरियाणा के प्राचार्य डॉ सुखदेव सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव ने अपना सारा जीवन सामाजिक बुराईयों एवं कुरीतियों को दूर करने में लगा दिया।उन्होंने कहा कि गुरुनानकदेव जी भारतीय गुरूपरम्परा के सिरमौर थे, हमें अपने जीवन में ऐसे सन्तों के उपदेशों को उतारने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि सामाजिक सद्भाव के लिए नानकदेव का जीवन समर्पित था,समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने देशभर में घूम घूमकर अपने उपदेशों से लोगों जागरूक किया। उन्होंने गुरुनानकदेव को सनातन धर्म और साझीवालता का पर्याय बताया।
कार्यक्रम का संचालन वेद के प्रभारी विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ अरुण कुमार मिश्र ने किया।धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सदस्य मनोज गहतोड़ी ने किया।इस अवसर पर सहायक आचार्य सुशील चमोली,डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी, डॉ आशुतोष दुबे,प्रोफेसर दिनेश चमोला,सहायक आचार्य मीनाक्षी सिंह, डॉ सुमन भट्ट,राष्ट्रीय सिख संगत की राष्ट्रीय महिला प्रमुख जसमीत सेठी, सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
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