हरिद्वार 27 नवम्बर (कुल भूषण शर्मा) गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि धर्म व्यक्ति के जीवन का दर्शन होता है और धर्म से दिशा पाकर ही व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित विशेष कार्यक्रम में भक्तों का मार्गदर्शन कर रहे थे।
सनातन धर्म को पर्वों का गुलदस्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को स्वस्थ, संस्कृत और सम्पन्नता से परिपूर्ण बनाने के लिए धर्म के माध्यम से जो व्यवस्थाएं दी हैं वे विश्व में अद्वितीय हैं यही कारण है कि पूरा विश्व आज भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहा है। कार्तिक पूर्णिमा स्नान का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा पर्वों का अनुसरण व्यक्ति को बदलते मौसम के अनुरूप स्वयं को तैयार करने का संदेश देता है।
विश्व की बढ़ती जनसंख्या को प्रकृति का नियम बताते हुए उन्होंने कहा कि जन्म और मृत्यु सृष्टि को संचालित करने के माध्यम हैं लेकिन व्यक्ति जितना धार्मिक होता है तथा प्रकृति के निकट रहता है वह स्वस्थ रहकर अपना जीवन पूरा करता है। भारतीय संस्कृति के मूल मंत्र सर्वे भवन्ति सुखिनः का उच्चारण कराते हुए हुए कहा कि धर्म व्यक्ति को समाज के साथ समरसता वरताने का संदेश देता है और धर्म के सापेक्ष आचरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है।
Recent Comments