Thursday, October 24, 2024
HomeTrending Nowमैक्स अस्पताल पर लापरवाही का आरोप, चेयरमैन को पत्र लिख जांच व...

मैक्स अस्पताल पर लापरवाही का आरोप, चेयरमैन को पत्र लिख जांच व क्षतिपूर्ति की रखी मांग

(दीपक सक्सेना) मसूरी। मैक्स अस्पताल पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के साथ ही अपनी मां की मौत का आरोप लगाते हुए पीड़ित दीपक सक्सेना ने चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर को पत्र लिख कर घटना की जांच की मांग के साथ ही क्षतिपूर्ति की मांग की है। पीड़ित दीपक सक्सेना ने मैक्स अस्पताल के चैयरमैन को लिखे पत्र में कहा है कि अस्पताल में घोर लापरवाही बरतने के कारण उनकी माता की उपचार के दौरान मौत हो गई। पत्र में कहा गया है कि 28 अगस्त 20 मेरी माता लता सक्सेना की तबियत खराब होने पर उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती किया गया इलाज से पूर्व ही उनका कोविड एंटीजेन टेस्ट करवाया गया। जिसका परिणाम नेगेटिव आया उसके बाद 29 अगस्त 20 को उनका आपरेशन किया गया जो सफल हो गया। 29 अगस्त से 31 अगस्त तक उनकी तबियत ठीक रही व उन्हें मेडिकल आईसीयू में 11 सितबंर 20 तक रखा गया।

लेकिन इसके बाद उन्हें फोन पर संदेश आया कि उनकी तबियत खराब हो गई है और सांस लेने में परेशानी हो रही है। जिस पर उनका दुबारा कोरोना टेस्ट किया गया व इस बार उन्हें पोजेटिव बताया गया व कहा गया कि उनके फेफडों में संक्रमण हो गया व पानी भर गया है व उन्हें फिर से आईसीयू में भर्ती कर दिया व किसी को उनसे मिलने नहीं दिया गया उन्हें अस्पताल के चिकित्सक डा. विनय ने अस्पताल के दौरे के बाद बताया कि उन्हें कोविड हो गया है तथा कोविड आइसोलेशन मेें रखा गया है। बताया गया कि पूर्व में जिस डाक्टर शांतनु ने उनका उपचार किया उन्हें कोरोना हो गया है, सवाल उठता है कि जब उन्हें कोरोना हो गया है तो उन्होंने मेरी माता का उपचार कैसे किया जबकि वह भर्ती करते समय कोरोना नेगेटिव थी बाद में पोजीटिव कैसे हो गई।

13 सितंबर 20 को उन्होंने अस्पताल के प्रबंधक डा. संदीप तंवर से अनुरोध किया कि उन्हें माता जी से मिलने दिया जाय तो उन्होंने वीडियों कांलिंग के माध्यम से बात कराने की अनुमति दी। 14 सितंबंर को उन्होंने वीडियों कॉल के माध्यम से परिजनों से बात भी की व सभी को जाना पहचाना व मेरे भाई नवीन सहित परिवार के सभी सदस्यों से बात की। इसके बाद 17 सितंबर को अस्पताल से फोन पर संदेश आया कि उनकी तबियत खराब हो गई है व आक्सीजन की कमी के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर ले जाया गया है तथा 18 सितंबर तक उनकी स्थिति वैसे ही रही लेकिन उसी दिन शाम को पांच बजकर दस मिनट पर अस्पताल से संदेश आया कि उनकी माता जी की मृत्यु हो गई है।

उन्होंने मेरे भाई नवीन से बॉडी को मोरचरी में ले जाने को कहा व वहां के सुरक्षा कर्मियों के लिए दो हजार रूपये की पीई किट खरीद कर दी। वहीं उन्होंने पत्र में लिखा कि अस्पताल में सरकारी कोविड गाइड लाइन का कोई पालन नहीं किया जा रहा है सभी विजिटर बिना किसी जांच के खुले आम अस्पताल परिसर में घूमते हैं वहीं मेडिकल आईसीयू में जूते पहन कर जाते हैं ऐसे में रोगियों के जीवन से हो रहे खिलवाड़ का कौन जिम्मेदार है। यह गंभीर मामला है जिस पर अस्पताल प्रशासन कार्रवाई करे। उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि जिलाधिकारी सहित स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, सचिव स्वास्थ्य उत्तराखंड व सीएमओ को भी भेजी है।

 

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments