Monday, November 25, 2024
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चाय का सेवन अंग्रेजी विरासत की देन: डा0 शिव कुमार

हरिद्वार 12 नवंबर (कुल भूषण शर्मा) भारत सदैव परम्पराओं एवं विविधताओं का देश रहा है। जहां ऋषियों एवं साधु-सन्तों ने अपने दिव्य ज्ञान एवं प्रवचनों से सदैव समाज का मार्गदर्शन किया है। यहां का पाकशास्त्र एवं औषधी ज्ञान जैसे सदा से मानव कल्याण के लिए उपलब्ध रहा है। परन्तु व्यक्ति का आचरण सदैव उसका अनर्थ करता रहा है। जिसका नाम आकर्षण है। आकर्षण एक ऐसी प्रभावशाली शक्ति है जिसके अधिकार (नियंत्रण) मे व्यक्ति आसानी से आ जाता है। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ0 शिवकुमार चैहान का कहना है कि ऐसी समृद्वशाली एवं वैभव से परिपूर्ण परम्परा के होने के बाद आज का व्यक्ति आकर्षण के वशीभूत होकर समृद्व पाकशास्त्र को छोडकर विलायती खान-पान के आकर्षण में इतना दिवाना हुआ कि उसने अपने स्वास्थ्य की चिन्ता करना भी छोड दिया। ऐसे ही  दोषपूर्ण पेय का नाम चाय है। आज चाय का प्रचलन अतिथि सत्कार का प्रमुख पर्याय बन गया जिसके बिना अतिथि सत्कार पूरा नही होता।

जो पुरुष दिन में 5- कप चाय पीते हैं, उन्हे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ता है, ऐसी बात एक अध्यन में आई है। इससे पहले कई शोधो में दावा किया गया है कि चाय पीने से कैंसर का खतरा टलता है। लेकिन चाय का सेवन भारतीय परम्परा के विरूद्व है। सुबह-सुबह चाय की तलब अधिकतर लोगों में देखी गई है। सुबह के समय सबसे पहले अगर किसी चीज का ख्याल आता है तो वह चाय ही है। लेकिन खाली पेट ली गई चाय आपके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है। खाली पेट चाय लेने से एसिडिटी की समस्या पैदा होती है। जो लोग सुबह की चाय के दिवाने है उन्हे चाय के साथ कुछ हल्का-फुल्का खाने के बाद ही चाय का सेवन करना चाहिए।

यदि आप ज्यादा चाय पीते हैं तो सावधान हो जाईये क्योकि चाय आपके पाचन तंत्र को कमजोर करने के साथ भूख भी खत्म करती है। चाय में मौजूद कैफीन ब्लडप्रेशर बढ़ाता है इसलिए जितना हो सके अपनी दिनचर्या में चाय को कम शामिल करें।

ज्यादा चाय पीने से जहां दिल की बीमारी हो सकती है, वहीं चाय में मौजूद शुगर आपके वजन को भी बढ़ा सकती है जिससे मोटापे की समस्या भी आपको घेर सकती है। हमने आमतौर पर देखा है कि लोग एक बार में ज्यादा चाय बनाकर रख लेते हैं और उसे बार-बार गर्म करके पीते हैं, जो कि आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए इस बात पर विशेष तौर पर ध्यान दें कि जितनी जरूरत हो, उतनी ही चाय बनाएं और ताजी चाय का ही सेवन करें।

 

 

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