(चंदन बिष्ट) भीमताल / नैनीताल, उत्तराखंड प्रदेश को बने 20 साल हो चुके हैं पर परिस्थितियां आज भी वैसी ही बनी हुई हैं हां इस दौरान कई सरकारें सत्तारूढ़ हो चुकी हैं विकास के नाम पर नेताओं की मौज बन आई है । उनकी शान शौकत बदली है वही नौकरशाही का दबदबा भी पहले की अपेक्षा ज्यादा बढ़ा है ।
गली मोहल्लों व गांव में नेताओं की कतार खड़ी हुई है इससे बड़ा उत्तराखंड वासियों का दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जिस राज्य के सपने का ताना-बाना बुना गया था वह छिन्न-भिन्न होता जा रहा है । आज भी उत्तराखंड की जवान रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं गांव व शहर सभी का एक हाल है उच्च शिक्षा शिक्षित लोग रोजगार के नाम पर ढोलीगांव से 140 किलोमीटर दूर सिडकुल की फैक्ट्रियों में बधुआ मजदूर बने हुए हैं । उनके लिए न तो जॉब की गारंटी है । और न हीं वेतन योग्यता अनुसार । वही प्रदेश की नीति नियंता विकास के लंबे चौड़े वादे करते हैं हकीकत में सब इसके उलट चल रहा है । योजनाएं कागज से धरातल तक आते-आते अस्तित्व खो रही हैं ।
★20 साल में बदली सिर्फ सियासत की शान और शौकत ।
★ढोलीगांव के लोग स्वास्थ्य की समस्या को लेकर आते हैं 120 किलोमीटर दूर हल्द्वानी
★विकास के नाम पर उत्तराखंड प्रदेश आज भी वहीं खड़ा है
वहीं चुनाव आते-आते सभी दलों को विकास की बातें याद आने लगती हैं उत्तराखंड में रोजगार व आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन भी दम तोड़ता नजर आ रहा है । गांव की दुकानों में प्रशासन की देखरेख में अवैध शराब का कारोबार और खनन पर भी माफियाओं का राज चल रहा है । चाहे इस बाबत सरकार दम भर रही हैं विकास के नाम पर सरकारें दावे ही करती है । और ढोलीगांव के आसपास भी कंक्रीट के जंगलों को जमकर आश्रय मिल रहा है । और खेतों में जंगली जानवरों का डेरा किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है नीति नियंताओं का इससे कोई लेना-देना नहीं है । वह तो अपनी सियासत के नफे नुकसान मैं ही मशगूल हैं यह तो सिर्फ प्रदेश के विकास का नमूना भर है जो नजर आ रहा है ।
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