मुनस्यारी, 26 अगस्त। नंदा अष्टमी के दिन आज ग्राम पंचायत सुरिंग में मां नंदा देवी की पूजा अर्चना की गई. मां नंदा के जयकारो के बीच नंदा पूजा की रस्म अदायगी की गई.
भगवती के सात बहिनों में नंदा का ससुराल हिमालय के नजदीक के गांव मर्तोली में माना जाता है. जोहार के मर्तोली में रहने वाले मर्तोलिया जाति के लोग नंदा देवी को अपना ईष्ट देव मानते है. नंदा देवी और मर्तोलिया समाज को लेकर कयी प्रकार की किवदंतिया प्रचलित है.
मर्तोली माइग्रेशन विलेज है.अब अधिकत्तर मर्तोलिया परिवार सुरिंग में ही रहते है. आज सुरिंग में गांव के चुकटिया बाखली से निशान नचाते हुए भक्त नंदा देवी के मंदिर तक गये. महिलाएं अपने परमपरागत वेशभूषा में “हिट सालि मनोरालि, चल कौथिंग” गाकर अपनी सदियों पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया.
हिमालय की इस नंदा देवी को हिमालय क्षेत्र की तलहटी में उगने वाला ब्रह्म कमल का फूल सबसे प्रिय है. इसलिए भक्त नंगे पांव, व्रत लेकर हिमालय क्षेत्र से चार दिन की यात्रा के साथ लाते है.इस फूल को देखकर मां नंदा का डंगरिया बेहद खुश हो जाता है. नंदा देवी की पूजा में ब्रह्म कमल का फूल मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहता है.
कोरोना के कारण इस बार मेला आयोजित नहीं किया गया. केवल गांव वालो ने ही पूजा कर रस्म निभाया. बाहरी लोगों के लिए गांव में आने पर प्रतिबंध लगाया गया था.
जिपं सदस्य जगत मर्तोलिया ने इस मेले को राजकीय संरक्षण दिये जाने की मांग की. कहा कि सदियों से चले आ रहे इस पूजा अर्चना में पुरानी परंपरा को जीवंत रखने का अनूठा संगम यहां देखने को मिलता है.
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