हरिद्वार 15 अगस्त (कुल भूषण शर्मा)। देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने पतंजलि के विभिन्न परिसरों में ध्वजारोहण कर देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमें अपने कर्म को धर्म मानकर स्वधर्म, राष्ट्रधर्म व मानवधर्म को निभाते हुए राष्ट्र के लिए संकल्पित होने का दिन है।
उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ ने राष्ट्रधर्म व राष्ट्रहित को सर्वोपरि लक्ष्य बनाकर जो कार्य किए हैं वे पूरे विश्व के लिए प्रेरणा है। पतंजलि योगपीठ ने पूरे विश्व का सबसे बड़ा योग का संस्थान भारत माता व मानवता की सेवा के लिए समर्पित किया है तथा साथ ही महर्षि चरक, सुश्रुत, धनवन्तरि से चली आई आयुर्वेद की महान् परम्परा को श्रद्धेय आचार्यश्री ने अपने बल, तप, पुरुषार्थ से सींचा है। पूरी दुनिया में आयुर्वेद पर क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल तथा ड्रग डिस्कवरी का काम सर्वप्रथम पतंजलि ने किया। आयुर्वेद जिसे अभी तक मात्र फूड सप्लिमेंट का दर्जा था उसे पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मापदण्डों के अनुसार मेडिसीन का दर्जा दिलाने का काम किया है। आज ब्लड प्रेशर के लिए मुक्तावटी, मधुमेह के लिए मधुनाशिनी, हृदय रोगों के लिए हृदयामृत वटी, डेंगू के लिए डेंगूनिल वटी और चाहे लाख विवाद और लाख षड्यंत्र खड़े किए गए हों, परन्तु लाखों-करोड़ों लोगों को जीवन देने का काम कोरोनिल ने किया है। पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि दुनिया में कोरोना रोगियों का सबसे ज्यादा रिकवरी रेट और सबसे कम डैथ रेट भारत में ही है, और इसमें सबसे बड़ा योगदान पतंजलि योगपीठ का है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग और आयुर्वेद का समावेश लोगों की जीवनशैली में कराया। उन्होंने कहा कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय स्वदेशी से राष्ट्र को स्वाधीन बनाने का संकल्प लिया गया था। इसके लिए लाखों लोग कुर्बान हो गए। उस स्वदेशी के नारे, विचार व विचारधारा को जमीन पर उतारकर, विदेशी कम्पनियों को परास्त कर, स्वदेशी को ऊँचा करने का काम पतंजलि ने ही किया है। आज पूरे देश में स्वदेशी के नारे गूँज रहे हैं, लोकल को ग्लोबल बनाना है व लोकल के लिए वोकल होना है। ये देश के सत्ता के शिखर पुरुष कह रहे हैं और इस स्वर को भी मुखरित करने का काम पतंजलि ने ही किया है। यद्यपि आज से 74 वर्ष पूर्व हमें आजादी मिल गई थी किन्तु वैचारिक गुलामी, आर्थिक गुलामी, शिक्षा व चिकित्सा की गुलामी, भाषा, वेशभूषा की गुलामी में जकड़ी भारत माता को मुक्त कराने व भारत के स्वाभिमान जगाने का काम भी पतंजलि ने किया। 1835 में मैकाले ने इण्डियन एजूकेशन एक्ट बनाकर भारतीय अध्यात्म एवं वैदिक शिक्षा को ध्वस्त कर जो पाप किया था, अब भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से शिक्षा के स्वदेशीकरण का काम भी पतंजलि के द्वारा किया जा रहा है। योग के क्षेत्र में हमारे महान् पूर्वजों का बहुत बड़ा योगदान है, उन्हें हम प्रणाम करते हैं किन्तु दुनिया के 780 करोड़ लोगों तक योग को पहुँचाने का काम पतंजलि ने किया है। हम सबको यह गौरव है कि जिस संस्थान के द्वारा ऐसे महान् कार्य संपादित किए गए, उसमें हम भी अंगीभूत हैं। हमें आगे भी प्रचण्ड-पुरुषार्थ के द्वारा मातृभूमि की सेवा के इतिहास गढ़ने हैं और अपनी-अपनी आहूतियाँ देकर इस राष्ट्र यज्ञ को अखण्ड व प्रचण्ड रूप से आगे बढ़ाना है। 1000 करोड़ की विदेशी कम्पनियों व विदेशी आक्रांताओं की लूट को हमें रोकना है। उन्होंने आह्वान किया कि आज हम इस बात के लिए संकल्पित हों कि हम स्वदेशी को अपनाएँगे और विदेशी कंपनियों की आर्थिक व वैचारिक सांस्कृतिक लूट से भारत माता को बचाएँगे।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि हम सबके लिए आज का पावन दिन बहुत ही श्रद्धा के साथ वीर शहीदों को स्मरण करने का है। हमारे लाखों वीर, शहीद क्रांतिकारियों ने अपनी भरी जवानी को मातृभूमि की बलिवेदी पर चढ़ा दिया जिसके बलबूते हमें यह आजादी मिली है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक आजादी ही आजादी नहीं है, हमें पूर्ण आजाद होने के लिए स्वयं को भी तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि आज एक छोटी सी महामारी के सामने अमेरिका जैसे विकसित देश ने भी घुटने टेक दिए परन्तु ऋषियों की विरासत योग व आयुर्वेद से हम घुटने टेकने से बच गए। योग व आयुर्वेद की प्रामाणिकता का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है, लेकिन फिर भी हम योग व आयुर्वेद को लेकर कहीं न कहीं लापरवाह हो जाते हैं। जिस योग और आयुर्वेद ने पूरी दुनिया को दिशा देने का काम किया है, उसके लिए हम सबको चेतन व जाग्रत होना होगा। योग व आयुर्वेद की विधा को आत्मसात करने के लिए संकल्पित भी हमको ही होना होगा। इस देश के निर्माण के लिए हमको ही आगे आना होगा, बाहर से आकर कोई राष्ट्रनिर्माण नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि जिस दिन हम अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो जाएँगे, उस दिन हमें अपनी संस्कृति व मूल्यों का ज्ञान होगा। हम जागरूक नहीं हैं, कहीं न कहीं हम शिथिल हैं, लापरवाह हैं इसलिए आज देश की स्थिति व गति जो होनी चाहिए, वह नहीं है। आज आत्मनिरिक्षण का दिन है। जीवन निर्वहन करना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है। अब तो हमारी संस्कृति आत्म निर्माण से राष्ट्र कल्याण की बात करती है। यदि हम संकल्पित हो जाएँ तो हम देश तो क्या दुनिया को खड़ा कर सकते हैं। अपनी संस्कृति से हम विश्वगुरु भी बन सकते हैं। वह शक्ति और सामर्थ्य इस देश के अन्दर है, इस देश के व्यक्तित्व के अंदर है, इस देश की आत्माओं के अंदर है। हमें ऋषियों की परम्पराएँ विरासत में मिली हैं, हम उन परम्पराओं को संजोकर, वीर-शहीदों को जीवन का आदर्श मानते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। आपका जो भी दायित्व है, उसे पूरे मनोयोग, पूर्ण दृढ़ता, पूर्ण निष्ठा, पूर्ण ईमानदारी से निभाएँ। जब आप पर या आपके दायित्व पर कोई प्रश्न चिन्ह न लगा सके तब आप समझ लिजिए कि आप राष्ट्र निर्माण के मार्ग पर हैं। पतंजलि योगपीठ परिवार संकल्पशील लोगों की टोली है, माँ भारती ने आपका चयन किया है कि आप पतंजलि से जुड़कर राष्ट्रनिर्माण के कार्य में संलग्न रहें। आज संकल्प लें कि हम एक-एक पल देश के गौरव को बढ़ाने में लगाएँगे क्योंकि देश महान् होगा तो हम स्वतः ही महान् होंगे।
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के विभिन्न परिसरों में पूज्य स्वामी जी महाराज व श्रद्धेय आचार्य जी महाराज के कर-कमलों से ध्वजारोहण किया गया। कार्यक्रम में पतंजलि से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के प्रमुख, विभाग प्रमुख, अधिकारीगण व कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका ‘पतंजलि विश्वविद्यालय प्रभा’ का विमोचन भी किया गया।
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