नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति के अमल पर पीएम के रुख के बाद शिक्षा मंत्रालय अब नीति को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गया है। राज्यों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। इसे सिर्फ चर्चा तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि सभी राज्यों से इसके अमल का एक प्लान मांगा जाएगा। वैसे भी राज्यों की सक्रिय भागीदारी के बगैर नीति का अमल मुश्किल है।
राज्यों से चर्चा और प्लान सामने आ जाने के बाद बनेगी संयुक्त रणनीति
मंत्रालय ने नीति के अमल को लेकर जो योजना बनाई है, उसके तहत अगले दो महीनों में सभी राज्यों से नीति के अमल को लेकर चर्चा पूरी करनी है। जिन राज्यों के साथ पहले चर्चा की योजना बनाई गई है, उनमें सभी भाजपा और एनडीए शासित राज्य शामिल है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सभी राज्यों से चर्चा और प्लान सामने आ जाने के बाद इसे लेकर एक संयुक्त रणनीति तैयार होगी। जिसके आधार पर ही नीति के अमल की दिशा तय होगी। मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को नीति की प्रतियां पहले ही भेजी जा चुकी है।
शिक्षा मंत्रालय अब नीति को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गया
मंत्रालय ने नीति के उन सभी अहम पहलुओं को अलग से सूचीबद्ध करना भी शुरु कर दिया है, जिन्हें बगैर कानूनी बदलाव किए सिर्फ सामान्य प्रशासनिक आदेशों से ही लागू किया जा सकता है। साथ ही इनके लागू से होने से सरकार पर कोई भी वित्तीय बोझ नहीं पड़ने वाला है। ऐसे पहलुओं में शिक्षक प्रशिक्षण, आंगनबाडी केंद्रों की तब्दीली, पांचवी तक स्थानीय भाषा में पढ़ाने जैसे प्रस्ताव है।
2023 तक नई शिक्षा नीति के ज्यादातर प्रस्तावों को अमल में लाना है
सूत्रों के मुताबिक राज्यों को चर्चा के अगले दौर में नीति के इन पहलुओं से अवगत कराया जाएगा। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति के अमल को लेकर मंत्रालय ने जो रोडमैप प्रस्तावित किया है, उसके तहत 2023 तक नीति के ज्यादातर प्रस्तावों को अमल में लाना है। हालांकि नीति में कुछ ऐसे भी लक्ष्य तय किए है, जिनके लिए 2035 तक की समयावधि तय की गई है। इनमें उच्च शिक्षा की सकल नामांकन दर(जीईआर) को पचास फीसद पर पहुंचाने जैसे प्रस्ताव शामिल है।
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