नई दिल्ली, महारत्न कंपनी ओएनजीसी ने 31 मार्च 2020 को अपना कर्ज घटाकर 13,949 करोड़ रुपए कर लिया
एक साल पहले यानी, 31 मार्च 2019 को कंपनी के ऊपर 21,593 करोड़ रुपए का कर्ज था, कंपनी पर लंबी अवधि का कर्ज 2,245 करोड़ रुपए का है, जो दिसंबर 2029 में मैच्योर होगा | सरकारी कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने एक साल में अपना कर्ज 35.4 फीसदी घटा लिया। लेकिन कंपनी को इस कारोबारी साल में प्रस्तावित निवेश योजना पर आगे बढ़ने में काफी मुश्किल हो रही है। इसका कारण यह है कि तेल और गैस की कीमतें काफी नीचे गिर गई हैं।
कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों और कंपनी की ओर से शेयर बाजार में दिए गए बयानों के मुताबिक कंपनी ने 31 मार्च 2020 को अपना कर्ज घटाकर 13,949 करोड़ रुपए कर लिया। एक साल पहले यानी, 31 मार्च 2019 को कंपनी के ऊपर 21,593 करोड़ रुपए का कर्ज था। कुल कर्ज में से लंबी अवधि का कर्ज 2,245 करोड़ रुपए है, जो दिसंबर 2029 को मैच्योर होने वाला है।
एक साल में कंपनी की नकदी 92% बढ़ी
कंपनी की नकदी में एक साल में 92 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 31 मार्च 2020 को कंपनी का कैश और कैश इक्वीवैलेंट (अन्य बैंक बैलेंस सहित) बढ़कर 968 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यह एक साल पहले 31 मार्च को 504 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर था।
स्टैंडअलोन डेट-इक्विटी रेश्यो 0.07
31 मार्च 2020 को कंपनी का स्टैंडअलोन डेट-इक्विटी रेश्यो महज 0.07 था, जिसे सुविधाजनक माना जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ऑपरेशनल इफिशिएंसी बढ़ाना चाहती है और सरप्लस रेवेन्यू से कर्ज का भुगतान करना चाहती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महामारी के कारण तेल कीमत में भारी गिरावट आई है और सरकार द्वारा निर्धारित गैस प्राइस उत्पादन लागत से भी काफी नीचे है।
26,000 करोड़ रुपए के कैपिटल एक्सपेंडीचर की योजना
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने 26,000 करोड़ रुपए के कैपिटल एक्सपेंडीचर की योजना बना रखी है। तेल एवं गैस की मौजूदा कीमत पर इस योजना का पूरा करना काफी कठिन साबित हो रहा है।
एचपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के बाद ओएनजीसी का बैलेंशीट हुआ खराब
ओएनजीसी कभी देश की सबसे ज्यादा प्रॉफिटेबल कंपनी हुआ करती थी। उसके पास 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कैश बैलेंस था। हिंदुस्तान पेट्र्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में सरकार की 51.11 फीसदी हिस्सेदारी और केजी बेसिन में गुजरात सरकार की जीएसपीसी की हिस्सेदारी खरीदने के बाद उसकी वित्तीय हालत खराब हो गई।(साभार दैनिक भास्कर )
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